- इस आधुनिक युग में मां के पास ही आपकी भावना नापने का यंत्र है : भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में तीन दिवसीय दीपावली के पावन अवसर पर तीन दिवसीय शिव चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा दीपावली का पर्व कैसे मनाया जाए और कार्तिक मास-दामोदर मास का क्या महत्व इस संबंध में विस्तार से बताया जा रहा है। चर्चा का विराम शनिवार को किया जाएगा। शुक्रवार को पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि आज के युग में बुखार, बीपी, शुगर सहित अन्य को नापने का यंत्र है लेकिन आपकी पीड़ा, आपके दिल की भावना और संकट का दूर करने का यंत्र माता-पिता के ही पास है, गुरु, माता और पिता ही ऐसे है जो आपके दुख का आभास कर सकते है। उन्होंने शिव चर्चा के दूसरे दिन एक ब्राह्मण की कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि ब्राह्मण दंपत्ति के यहां पर छह पुत्रियों होने के बाद भी वह भगवान शंकर की पूरी निष्ठा से पूजा अर्चना करता था, इस मौके पर उन्होंने रुप चौदस और देव दीपावली पर एक लोटा जल अर्पित करने सहित अन्य पूजा-अर्चना के बारे में यहां पर मौजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को बताया। भगवान शंकर के मंदिर तक जाना मेरा काम है, मेरी बिगड़ी को ठीक करना, मेरी समस्या का हल करना तेरा काम है। गुरु और माता-पिता का दर्जा एक समान इसलिए है की दोनों आपके जीवन को एक सार्थक दिशा देते हैं और अगर आप उन्हें कभी भी मिले तो वो ही प्यार, अपनापन और आशीर्वाद आपको मिलता है।
धनतेरस, रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज
शुक्रवार को पंडित श्री मिश्रा ने दीपावली के पावन अवसर पर होने वाली पूजा-अर्चना की विधि-विधान पर चर्चा करते हुए कहा कि कार्तिक माह में पूर्ण निष्ठा और भक्ति भाव से पूजा अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्तिक महीने में बड़े और मुख्य तीज-त्योहार पड़ते हैं। कार्तिक महीने की शुरुआत शरद पूर्णिमा से हो जाती है। इसके बाद करवा चौथ, धनतेरस, रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, देव उठनी एकादशी आदि पर्व मनाए जाएंगे।
भगवान श्रीराम ने शबरी का प्रसंग
इस मौके पर पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि कथा का श्रवण, सत्संग और जप का प्रभाव क्या होता है, माता शबरी को भगवान श्रीराम ने बताया था, श्रीराम ने माता शबरी से कहा कि मैं परीक्षा से नहीं मिलता मैं तो भरोसा और प्रतीक्षा से प्राप्त होता हूं। कहा जाता है कि जब ऋषि मतंग मृत्यु के निकट थे, तब वृद्धावस्था पा चुकीं शबरी ने उनसे पूछा कि आप जैसा ज्ञान, वैराग्य और प्रभु के दर्शन मुझे कैसे प्राप्त होंगे। ऋषि मतंग ने देह त्यागने से ठीक पहले उन्हें वरदान दिया कि नि:स्वार्थ सेवा के लिए तुम्हें न केवल प्रभु के दर्शन मिलेंगे, बल्कि भगवान राम खुद चलकर तुम्हारे पास आएंगे। तब से शबरी भगवान राम के आगमन की प्रतीक्षा में लग गयी थीं। उसके उपरांत उसकी मनोकामना पूरी हुई।
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