सीहोर : गुरुवार को रात्रि बारह बजे की जाएगी महानिशा आरती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

सीहोर : गुरुवार को रात्रि बारह बजे की जाएगी महानिशा आरती

  • नवरात्रि की पांचवें दिवस स्कंद माता को लगाया खीर और केले का भोग

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सीहोर। शहर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर हर साल की तरह इस साल भी साधकों के द्वारा आस्था और उत्साह के साथ शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। सोमवार को एक साथ भगवान शिव और माता की पूजा अर्चना की और स्कंद माता को खीर और केले की प्रसादी का भोग लगाकर कन्याओं को वितरण किया गया। इस मौके पर मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, जिला संस्कार मंच के जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, पंडित उमेश दुबे, ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, सुनील चौकसे, रामू सोनी, सुभाष प्रजापित आदि शामिल थे। अब गुरुवार की रात्रि बारह बजे विशेष पूजा अर्चना के पश्चात महानिशा की आरती की जाएगी। इन दिनों नवरात्रि का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां पर नियमित रूप से कन्याओं की पूजन के अलावा हवन और पूजन की जा रही है।


जिला संस्कार मंच के मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। स्कंदमाता माता की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का माश होता है। स्कंदमाता अपने भक्तों के सभी काम बना देती हैं। असंभव से असंभव कार्य उनकी पूजा से पूरे हो जाते हैं। साथ ही स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। साथ ही व्यक्ति को सभी दुख दर्द से छुटकारा मिलता है। भगवान शिव की अर्धांगिनी के रुप में मां ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है इसलिए मां दुर्गा के इस रुप को स्कंदमाता कहलाया। मां स्कांदमाता की चार भुजाएं हैं। मां भगवान कार्तिकेय को अपनी गोद में लेकर शेर पर सवार रहती है। मां के दोनों हाथों में कमल है। साथ ही स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करने चाहिए। स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं सबसे अधिक प्रिय है। माता को केले का भोग लगाना चाहिए। उन्हें पीले रंग के फूल और फल अर्पित करने चाहिए। स्कंदमाता को आप चाहे तो केसर की खीर का भोग लगा सकते हैं। साथ ही मां को हरी इलायची भी अर्पित करके लौंग का जोड़ा चढ़ाएं।

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