वाराणसी : ‘‘भारत टेक्स 2025’’ होगा देश का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 17 अक्तूबर 2024

वाराणसी : ‘‘भारत टेक्स 2025’’ होगा देश का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला

  • 14-17 फरवरी 2025 तक आयोजित इस चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय एक्स्पों में कपड़ा संबंधी सभी 11 परिषदों के अंर्तगत आने वाले सभी हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी लगेगी : चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। विश्वस्तरीय कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर, द्वारिका स्थित यशोभूमि‘ में “भारत टेक्स 2025“ का आयोजन होगा। 14-17 फरवरी 2025 तक आयोजित इस चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय एक्स्पों में कपड़ा मंत्रालय के सहयोग से कपड़ा संबंधी सभी 11 परिषदों के अंर्तगत आने वाले सभी हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी लगेगी। इसमें कालीन, साड़ी, रेशम, कपड़ा आधारित हस्तशिल्प, हथकरघा, सिंथेटिक, रेयान और सूती कपड़ा, जूट, ऊनी वस्त्र, तकनीकी कपड़ा परिधान, घरेलू सामान और फर्श कवरिंग, रेशे, सूत, ऊन, धागे और ऊन कपड़ा आदि क्षेत्रो के उद्यमी अपने-अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगायेंगे। मकसद है एक ही छत के नीचे हैंडमेड कारपेट सहित हर तरह के हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी के जरिए सात समुंदर विदेशी ग्राहको को लुभाना। कपड़ा मंत्रालय से जुड़े कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल की मानें तो यह एक्स्पों हस्तनिर्मित उत्पादों के लिए न सिर्फ वरदान साबित होने वाला है, बल्कि अब तक का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला होगा। भारतीय निर्यातकों का दावा है कि भारत टेक्स एक्स्पों हस्तशिल्प कारोबारियों एवं इससे जुड़े बुनकरों व कारीगरों के लिए वरदान साबित होगा। उनका कहना है कि एक ही छत के नीचे उन्हें हर तरह के हस्तशिल्प उत्पादों को बेचने का मौका मिलेगा। साथ ही एक्सपों में कालीन, साड़ी, रेशम, जूट, ऊनी वस्त्र,घरेलू सामान और फर्श कवरिंग, रेशे, सूत, ऊन, धागे और ऊन कपड़ा आदि क्षेत्रों के बुनकरों व कारीगरों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलेगा।


इस वैश्विक प्रदर्शनी में बड़े पैमाने पर न सिर्फ काम मिलेगा, बल्कि कारपेट इंडस्ट्री को पहचान मिलेगी। उनका दावा है कि इस ट्रेड फेयर से न सिर्फ उद्यमियों को ढेरों उम्मींदे है, बल्कि निर्यात दर भी दुगुना होगा। एक अनुमान के मुताबिक केवल फेयर से ही एक हजार करोड़ का कारोबार हो सकता है। इस एक्सपो का मकसद है हस्तनिर्मित उद्योगों के विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक मंच प्रदान कराना है। खास बात यह है कि इस इंडस्ट्री में एक परिपक्व, प्रतिस्पर्धी वैश्विक सोर्सिंग गंतव्य के रूप में भारत की क्षमता को प्रदर्शित करेगा। इसके लिए उन्होंने मेले का लोगो, वेबसाइट और वीडियो भी लॉन्च किया है। उन्होंने हस्तनिर्मित उत्पादों से जुड़े सभी उद्यमियों से इस आयोजन का उपयोग भारत की वैश्विक शक्तियों, इसकी स्थिरता पहलुओं के साथ-साथ मूल्य श्रृंखला में इसकी ताकत को उजागर का आग्रह किया है। उनके मुताबिक भारतीय हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम की विभिन्न किस्में मिलेंगी। व्यावसायी, नीति निर्माता, ग्राहक, अर्थशास्त्र के जानकार इसमें हिस्सा लेंगे। नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली ट्रेड फेयर की थीम वसुधैव कुटुंबकम को बढ़ावा मिलेगा। इस फेयर में लगभग 70 देशों के कालीन व साड़ी सहित अन्य उत्पादों के उत्पादन करने वाले ईकोईयों के खरीदार भाग लेंगे। इसमें यूपी, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार सहित कई राज्यों के उद्यमी भाग लेंगे। शीघ्र ही मेले को अंतिम रुप दिया जायेगा, तैयारियां शुरु हो गयी है। इस मेले के लिए भव्य तैयारियां की जायेगी। इस मेले के जरिए वैश्विक स्तर पर भारत की उभरती अर्थव्यवस्था का मजबूत करना है।


भारत टेक्स 2025 के लिए,सीईपीसी ने किया रोड शो, मेले का हिस्सा बनने के लिए संयुक्त निदेशक, हस्तशिल्प शेखर श्रीवास्तव की निर्यातकों से अपील

मेले की सफलता के लिए गुरुवार को इंडिया कारपेट एक्स्पों में भारत टेक्स 2025 के लिए सीईपीसी द्वारा रोड शो का आयोजन किया गया। जिसमें संयुक्त निदेशक, हस्तशिल्प, भारत सरकार शेखर श्रीवास्तव ने भारत टेक्स के भव्य आयोजन के बारे में विधिवत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कालीन निर्यात संवर्धन परिषद् भारत टेक्स में एक बड़ी भागीदारी निभाता है। ऐसे में निर्यातको से अपील है कि वे इस आयोजन का हिस्सा बने और इसका व्यासायिक लाभ उठाये। फिरहाल, एक्स्पों की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टॉलों के लिए निर्धारित स्पेश के मुकाबले आधे से अधिक स्पेश की बुकिंग कुछ ही दिनों में हो चुकी है। खास यह है कि इस एक्स्पों में भारतीय व विदेशी दोनों हस्तनिर्मित उत्पादों के निर्माता व आयातक भाग ले सकेंगे। यह अलग बात है कि हैंडमेड कारपेट के प्रतिद्वंदी देशों में शामिल चीन, पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान, टर्की आदि की उनके स्थानीय मसलों की वजह से प्रदर्शनी में भाग न ले पाने का पूरा फायदा भारतीय हस्तशिल्प उद्यमियों को मिलने वाला है। एक ही छत के नीचे तरह-तरह के हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी लगने से जो निर्यातक-आयातक अपने ही इंडस्ट्री में लगे थे, उनका झुकाव अब अन्य उत्पादों की ओर होने की पूरी संभावना है।

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