कविता : अब जागो युवाओं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 27 अक्तूबर 2024

कविता : अब जागो युवाओं

बढ़ता जा रहा है नशे का उत्पाद,

कर रहा है युवा पीढ़ी को बर्बाद,

अशिक्षित सा लगने लगा है अब समाज,

उलट पुलट हो रही है जिंदगी,

कोई तो हो नशे पर पाबंदी,

युवाओं मत करो जिंदगी बर्बाद,

अब तुम्हें जगाना होगा इस बार,

नशे से दूर तुम्हें भागना होगा,

अच्छी ज़िंदगी को अपनाना होगा,

अब नशे की मनमानी नहीं होगी घर में,

घर को घर को यह समझना होगा,

तभी तो जीवन सबका अच्छा होगा॥





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सुनीता जोशी

कपकोट, उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

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