सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर जारी शिव चर्चा में उमड़ा आस्था का सैलाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 26 अक्तूबर 2024

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर जारी शिव चर्चा में उमड़ा आस्था का सैलाब

  • संसार, संपत्ति, संबंध, स्वास्थ्य और संतान जीवन में अशांति देते है : पंडित प्रदीप मिश्रा

Kubereshwar-dham-srhore
सीहोर। मनुष्य अशांति का कारण दूसरों में ढूंढ़ता है। जबकि सबसे बड़ा फैक्टर खुद है। क्योंकि वह स्वयं कई बेकार की बातों में उलझा होता है। जब स्थितियां विपरीत हो तो मनुष्य को अपने भीतर शांति ढूंढना चाहिए। जिसके पास कुछ नहीं, वहीं सबसे सुखी है। भगवान का भक्त और संत हमेशा सुखी रहते है, जो हमारे पास है वहीं पर्याप्त है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में तीन दिवसीय दीवापली पर्व पर जारी तीन दिवसीय श्री शिव चर्चा के अंतिम दिवस अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि भविष्य पुराण का अध्ययन करना उसमें वर्णित है कि भगवान ने आपके मस्तिक में एक चुंबक लगाकर भेजा है, जिसके कारण जो व्यक्ति जैसा भाव रखता है, वैसा उसके साथ व्यवहार होता है। अंतिम संस्कार के दौरान शव की कपाल क्रिया के दौरान बांस से कपाल की क्रिया होती है, क्यों होती है, क्योंकि मनुष्य संपूर्ण जीवन काल में यह मेरा है, वो मेरा है, मेरे पास इतनी संपत्ति है इसके बारे में चिंतन में लगा रहता है, उसका धन के प्रति   लालच बना रहता है। पंडित श्री मिश्रा ने शिव चर्चा के दौरान लोगों को परेशानियां आने के पांच रास्ते संसार, संपत्ति, संबंधों, स्वास्थ्य, संतान के बारे में बताते हुए समाधान बताए।


उन्होंने कहा कि संसार में शिव के अलावा कुछ भी नहीं है, भगवान की भक्ति और विश्वास ही आपके जीवन का कल्याण कर सकता है, कई लोग तो तनिक सी बीमारी आई तो गंभीर बीमारी को आमंत्रण देते है, बीमारी हमारी सोच पर निर्भर है। छोटी-मोटी बीमारी हो जाए तो भगवान  का ध्यान कर दूर किया जा सकता है, लेकिन बीमारी आने के बाद वह दूसरे की बात का ध्यान कर अपने आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना लेता है। डॉक्टर भी भगवान की तरह होता है, लेकिन आपका मनोबल सशक्त होना चाहिए, डॉक्टर की सलाह भी लो और भगवान से भी अपने संकट को दूर करने की प्रार्थना करो। इस दौरान तीन दिवसीय शिव चर्चा में जलोर से आई एक 13 वर्षीय बालिका का पत्र का वर्णन करते हुए पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि 13 वर्षीय बालिका किंजल अपनी मां के साथ आई है, पत्र में किंजल ने भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए लिखा था कि उनकी मां को गंभीर कैंसर था, डॉक्टर ने भी जबाव दे दिया, लेकिन बाबा ने मेरी मम्मी को नया जीवन दिया है, जब हमने भगवान के चढ़ाए जल के बारे में पता चला तो मेरी मम्मी ने जल का अचमन किया, हम सीहोर आए और मंदिर परिसर से वितरण होने वाले निशुल्क रुद्राक्ष को प्राप्त कर उपाय किया तो मेरी मम्मी आज पूर्ण रूप से स्वास्थ्य है और मेरे पिताश्री को भी काम मिल गया है। उन्होंने बाबा का आशीर्वाद लिया। कुबेरेश्वरधाम पर बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं का कष्ट दूर होता है, जिसके कारण प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिव महापुराण के मार्गदर्शन के कारण यहां पर आकर अपनी मनोकामनाए पूर्ण कर रहे है। भोले हैं कि पाप करने वाले भी यदि शरण में पहुंच जाए तो उसका भी कल्याण कर देते हैं, मनुष्य जीवन में सन्यासी, संत बनना जप, तप करना सरल है, लेकिन गृहस्थ जीवन में जीते हुए जप तप, पूजा पाठ करना कठिन है। कुटुंब के साथ, परिवार के साथ रहते जप, तप से हम इसीलिए विमुख हो जाते हैं क्योंकि हम सिर्फ परिवार की प्रतिपूर्ति में ही लगे रहते हैं।  जहां भजन कीर्तन हो रहा है, सत्संग चल रहा है, साधुओं का सानिध्य मिले, भगवान शिव की कथा मिले वहां बैठ जाना। फिर तुम्हें किसी तीर्थ पर जाने की जरूरत नहीं है, सारे तीर्थ तुम्हें शिव के दरबार में मिल जाएंगे। जहां कथा होती है उस स्थान पर सारे तीर्थ, नदियां, कुंड, इक_े हो जाते हैं।


भगवान नारायण और लक्ष्मी का विवाह

शनिवार को शिव चर्चा के अंतिम दिन भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान नारायण और लक्ष्मी का विवाह आदर्श है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए परमार्थ होना जरूरी, लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए सत्यकर्म की भावना जरूरी है। अगर आप पूरे भाव से मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते है, दुखी व्यक्ति का जीवन सुधर जाएगा और उसके जीवन में सुख, समृद्ध और लक्ष्मी की कृपा बरेसी।

कोई टिप्पणी नहीं: