सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर पांच दिवसीय दीपावली को लेकर उमड़ा आस्था का सैलाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर पांच दिवसीय दीपावली को लेकर उमड़ा आस्था का सैलाब

  • 31 अक्टूबर को दीप पर्व पर 11 हजार दीयों से रोशन होगा कुबेरेश्वरधाम

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में आगामी 31 अक्टूबर को दीपावली का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा और 11 हजार से अधिक दीपक से मंदिर परिसर को रोशन किया जाएगा। इसको लेकर मंदिर परिसर में गुरुदेव अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में विठलेश सेवा समिति और श्रद्धालुओं के द्वारा तैयारियां की जा रही है। मंदिर परिसर में पांच दिवसीय दीप पर्व को लेकर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे है। सोमवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। जिनकों समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला सहित अन्य ने भोजन प्रसादी का वितरण किया। कार्तिक माह में मंदिर परिसर में तांता लगा रहता है। विठलेश सेवा समिति की ओर से प्रियांश दीक्षित ने बताया कि मिट्टी  की कला और उससे बनाए जाने वाले दीये को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल गुरुदेव के निर्देश पर हजारों की संख्या में दीप पर्व पर श्रद्धालु आते है और दीप प्रज्जवलित करते है। इस साल भी पांच दिवसीय पर्व धनतेरस, रुप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजन और भाई-दूज का आयोजन मंदिर में विशेष पूजा-पाठ से किया जाएगा। इसके अलावा भी यहां पर आगामी दिनों में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी भोजनशाला मंदिर परिसर में चलाई जा रही है।  जिसमें यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को निशुल्क रूप से भोजन का वितरण किया जाता है।


आगामी दिनों में अन्नकूट महोत्सव होगा

भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने अपने संदेश में कहा कि अन्नकुट महोत्सव सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। भगवान श्रीकृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अन्नकूट भी गोवर्धन पूजा का समारोह है। 56 प्रकार के मिष्ठान पकवान का भोग अर्पित किया जाता है, इससे ही विभिन्न आकृतियां उकेरकर झांकी सजाई जाती है इसलिए इसे अन्नकूट महोत्सव कहते हैं, अन्नकूट प्रसादी का बड़ा महत्व होता है क्योंकि इसमें कई प्रकार की सब्जिय़ां अन्य प्रकार के भोग बनाए जाते है। उस प्रसाद का स्वाद ही अलग होता है। 

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