सीहोर : प्राचीन श्री सिद्धिादात्री मंदिर में किया गया कन्या भोज का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 अक्तूबर 2024

सीहोर : प्राचीन श्री सिद्धिादात्री मंदिर में किया गया कन्या भोज का आयोजन

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सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी शहर के सीवन नदी घाट पर स्थित प्राचीन श्री सिद्धिदात्री अंबा मंदिर में कन्या भोज का आयोजन किया गया था। इस मौके पर दो दर्जन से अधिक कन्याओं ने खीर बेसन चक्की पूरी  हलवा सब्जी का भोगगृहण किया ।उपहार और दक्षिणा प्रदान की गई। इससे पहले मंदिर में पूर्ण विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई थी और उसके पश्चात कन्या पूजन किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए मंदिर समिति के समाजसेवी अशोक बिहानी ने बताया कि हरसिद्धि मंदिर उज्जैन से पदयात्रा कर लाई गई ज्योत अखंड रूप से वर्ष 1980 से देवालय में प्रज्वलित है, दूर-दूर से भक्त अखंड ज्योत एवं मां सिद्धिदात्री के अलौकिक स्वरूप का दर्शन करने आते है। यह मंदिर शहर के सीवन नदी तट पर काफी प्राचीन है। मंदिर समिति सचिव महेश शर्मा, वरिष्ठ सदस्य गुरुबचन सिंग होरा समिति उपाध्यक्ष सुरेश वशिष्ठ समिति के सदस्य राजेश शर्मा, दिनेश सोनी वर्षों पुरानी परंपरा अनुरूप प्रत्येक नवरात्रि में मां के नो पूर्ण सप्तशती महापाठ का संकल्प करते हैं। पंडित सत्य प्रकाश समाधिया ने गत दिनों शतचंडी यज्ञ संपन्न कराया। मंगलवार को भोजन प्रभारी आदित्य मुंदडा आदि के नेतृत्व में भव्य रूप से आयोजन किया गया था। जिसमें बड़ी संख्या में कन्याओं की पूजन और भोज प्रसादी का वितरण किया।


वहीं मंदिर के पुजारी मनीष बैरागी ने बताया कि मां दुर्गा का आखिरी स्वरूप सिद्धिदात्री हैं। ये मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति हैं। मां सिद्धिदात्री व्यक्ति को सिद्धि प्रदान करती हैं। अगर इनकी पूजी विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ की जाए तो व्यक्ति सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की हिम्मत भी व्यक्ति में आ जाता है। देवीपुराण में कहा गया है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिवशंकर ने सिद्धियां प्राप्त की थीं। ये मां की ही अनुकम्पा थी कि भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ। इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया। सिद्धिदात्री मां की आराधना-उपासना कर भक्तों की लौकिक, पारलौकिक सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मां अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं जिससे कुछ भी ऐसा शेष नहीं बचता है जिसे व्यक्ति पूरा करना चाहे। व्यक्ति अपनी सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं से ऊपर उठता है और मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता है और फिर विषय-भोग-शून्य हो जाता है। इन सभी को पाने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज को पाने की इच्छा नहीं रह जाती है।

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