- बिहार बाढ़ से त्रस्त, नीतीश कुमार 2025 के चुनाव में मस्त, दसियों हजार परिवार बाढ़ प्रभावित, राहत-बचाव काफी कमजोर
- भूभौल में अब तक नहीं पहुंचे कोई मंत्री, मुख्यमंत्री कटाव स्थल से 15 किलोमीटर पहले ही लौट आए पटना.
भाकपा-माले की टीम के निष्कर्ष
28 सितंबर की आधी रात को बिहार में एक और मानव निर्मित आपदा की शुरुआत हुई. उस भयावह रात को दरभंगा के किरतपुर ब्लॉक के भुभौल गांव के पास कोसी तटबंध टूट गया और देखते ही देखते बाढ़ ने कम से कम आठ गांव - टटवारा, तेतरी, जागसो, भुभौल, जमालपुर, नरकटिया, मुसहरिया, खैसा - आदि को अपनी चपेट में ले लिया. 2008 के बाद यह दूसरी बार कोसी का तटबंध टूटा जिसके कारण बाढ़ के प्रकोप का खामियाजा सैकड़ों लोगांें, झोपड़ियों और यहां तक कि पक्के घरों को भी उठाना पड़ा है. मुजफ्फरपुर जिले के औराई, कटरा, गायघाट, मीनापुर, सीतामढ़ी के बेलसंड, दरभंगा के हनुमान नगर, हायघाट प्रखंडों के सैकड़ों गांवों में बागमती के तटबंधों के कटाव के कारण जन-जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है. भुभौल में हर चेहरे पर दर्द और गुस्सा साफ झलक रहा था. मिट्टी और रेत से भरे बैगों के साथ एक अस्थायी तटबंध बनाने के कुछ विलंबित प्रयास किए जा रहे थे. लोग इस बात से नाराज थे कि उस रात जब स्थानीय लोग अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ से लड़ रहे थे तो प्रशासन कुछ क्यों नहीं कर पाया? यदि तटबंध का नियमित रखरखाव होता और तटबंध टूटने पर कुछ त्वरित प्रतिक्रिया होती, तो आपदा को रोका जा सकता था.
सरकारी राहत के नाम पर एक एक चिकित्सा शिविर और एक सामुदायिक रसोई के बैनर दिखाई पड़े. टूटे हुए तटबंध और सड़क संपर्क स्थल से लगभग छह किलोमीटर दूर, सहरसा-दरभंगा सीमा पर गोंडौल चौक पर इसे देखा जा सकता है. आश्रय के नाम पर, रात में बिजली की आपूर्ति के बिना बची हुई सड़क के गोंडौल-भुभौल खंड के दोनों किनारों पर अस्थायी तिरपाल तंबू थे. चल रहा राहत अभियान देखा वह लगभग पूरी तरह से विभिन्न स्थानीय संगठनों और दान पहलों द्वारा था. एक हफ्ते में पहली बार एनडीआरएफ की कुछ नावें देखी गईं, लेकिन बचाव के लिए लोगों को निजी नावों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. मोहन साव ने बताया कि उन्हें अपने मृत भाई विनोद साव और उनकी पत्नी द्रौपदी देवी के शव लाने के लिए निजी नावों की व्यवस्था करनी पड़ी. नीरो देवी अपने मवेशियों को बचाने के लिए किसी नाव की तलाश कर रही थी. माल मवेशी का भारी नुकसान हुआ है. भूभौल में कटाव के कारण सामने का गांव पूरी तरह बर्बाद हो गया है. मुसहर समुदाय की 35 झोपड़ियां पूरी तरह तबाह हो गई हैं. जबतक स्थिति सामान्य नहीं होती मृतकों और बर्बादी का सही सही आकलन नहीं किया का सकता. हमने उनकी मदद के लिए सड़क पर निकटतम पुलिस स्टेशन, जमालपुर पीएस से बात की. कामरेड शशि यादव, एमएलसी ने रोशनी, सामुदायिक रसोई, चिकित्सा देखभाल और सरकारी नावों की व्यवस्था के लिए दरभंगा डीएम से फोन पर बातचीत की. मुजफ्फरपुर में 4 जगहों पर तटबंध टूटा है. कटरा औराई के 65 गांवों में भारी तबाही है. हमलोग तटबंध निर्माण को रोके हुए हैं अन्यथा 82 गांव पूरी तरह विस्थापित हो जाती.
तत्काल उठाए जाने वाले कदम
1. बाढ प्रभावित इलाकों में तटबंधों पर अस्थायी रूप से रहे लोगों के लिए बिजली की व्यवस्था
2. हर 1 किलोमीटर पर पर्याप्त संख्या में सरकारी नाव की व्यवस्था
3. पर्याप्त संख्या में सामुदायिक किचन व पर्याप्त दवाइयों के साथ मेडिकल की व्यवस्था
4. मोटा प्लास्टिक, साफ पानी, शौचालय की व्यवस्था
5. मवेशियों के लिए चारा
6. लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई
ये कदम भी उठाए जाएं
7. सभी पीड़ितों को पक्का मकान बनाकर देने की गारन्टी
8. कोसी के पश्चिम तट की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध, बाँध को ऊंचा बनाना, बोल्डर की व्यवस्था
9. कोसी द्वारा मार्ग परिवर्तन को देखते हुए विशेषज्ञों की टीम का गठन
10. बागमती परियोजना का रिव्यू किया जाए.
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