पटना : सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण कोसी का टूटा तटबंध: दीपंकर भट्टाचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

पटना : सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण कोसी का टूटा तटबंध: दीपंकर भट्टाचार्य

  • बिहार बाढ़ से त्रस्त, नीतीश कुमार 2025 के चुनाव में मस्त, दसियों हजार परिवार बाढ़ प्रभावित, राहत-बचाव काफी कमजोर
  • भूभौल में अब तक नहीं पहुंचे कोई मंत्री, मुख्यमंत्री कटाव स्थल से 15 किलोमीटर पहले ही लौट आए पटना.

cpi-ml-flood-report
पटना 7 अक्टूबर (रजनीश के झा)। बिहार में बाढ़ की भयावह स्थिति के मद्देनजर माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में, कामरेड धीरेंद्र झा, संदीप सौरव, शशि यादव, संतोष सहर, कुमार परवेज़, वैद्यनाथ यादव, नियाज़ अहमद, ध्रुव नारायण कर्ण, अभिषेक कुमार और दरभंगा, मधुबनी के कई प्रमुख नेताओं ने दरभंगा जिले के कीरतपुर प्रखंड के भूभौल और मुजफ्फरपुर के कटरा के गंगेया का दौरा किया. भूभौल में ही इस बार कोसी का तटबंध टूटा है लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी किसी मंत्री या स्थानीय विधायक या सांसद ने बाढ़ पीड़ितों से मिलने की परवाह तक नहीं की. बाढ़ इलाके से लौटने के पश्चात का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूभौल कटाव स्थल पर जाना उचित नहीं समझे. वे 15 किलोमीटर पहले ही लौट गए. बहुप्रचारित डबल इंजन की मोदी-नीतीश सरकार के लिए बचाव और राहत निश्चित रूप से कोई प्राथमिकता नहीं है. बाढ़ से बेघर हुए लोगों के पुनर्वास की चिंता की तो बात ही दूर है, जिनमें से अधिकांश के पास वापस जाने के लिए अपना कोई ठिकाना नहीं है. डबल इंजन वाली सरकार को कोसी द्वारा एक बार फिर से अपना रास्ता बदलने के खतरे और उससे होने वाली तबाही के बारे में कुछ भी पता नहीं है. उन्होंने कहा कि कोसी इस समय बिहार में बाढ़ लाने वाली एकमात्र नदी नहीं है. गंडक, बागमती, गंगा, इन सभी प्रमुख नदियों ने बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ ला दी है, लोगों को बेदखल कर दिया है, फसलों को नुकसान पहुंचाया है, जिले-दर-जिले आजीविका को नष्ट कर दिया है. लेकिन बिहार सरकार का राहत-बचाव काफी कमजोर है. मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी 243 की विधानसभा में 225 से अधिक बहुमत के साथ 2025 का चुनाव जीतने की योजना बनाने में व्यस्त है जबकि दूसरी ओर पूरा उत्तर-पूर्व बिहार बाढ़ की मार झेल रहा है. यह भी कहा कि जब सरकार सभी ज़िम्मेदारियों से पीछे हट जाती है वैसी स्थिति में हम सबको अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए. आइसा, आरवाइए और बाढ़ प्रभावित जिलों के स्थानीय पार्टी संगठन राहत प्रयासों में उतर गए हैं.


भाकपा-माले की टीम के निष्कर्ष

28 सितंबर की आधी रात को बिहार में एक और मानव निर्मित आपदा की शुरुआत हुई. उस भयावह रात को दरभंगा के किरतपुर ब्लॉक के भुभौल गांव के पास कोसी तटबंध टूट गया और देखते ही देखते बाढ़ ने कम से कम आठ गांव - टटवारा, तेतरी, जागसो, भुभौल, जमालपुर, नरकटिया, मुसहरिया, खैसा - आदि को अपनी चपेट में ले लिया. 2008 के बाद यह दूसरी बार कोसी का तटबंध टूटा जिसके कारण बाढ़ के प्रकोप का खामियाजा सैकड़ों लोगांें, झोपड़ियों और यहां तक कि पक्के घरों को भी उठाना पड़ा है. मुजफ्फरपुर जिले के औराई, कटरा, गायघाट, मीनापुर, सीतामढ़ी के बेलसंड, दरभंगा के हनुमान नगर, हायघाट प्रखंडों के सैकड़ों गांवों में बागमती के तटबंधों के कटाव के कारण जन-जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है. भुभौल में हर चेहरे पर दर्द और गुस्सा साफ झलक रहा था. मिट्टी और रेत से भरे बैगों के साथ एक अस्थायी तटबंध बनाने के कुछ विलंबित प्रयास किए जा रहे थे. लोग इस बात से नाराज थे कि उस रात जब स्थानीय लोग अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ से लड़ रहे थे तो प्रशासन कुछ क्यों नहीं कर पाया? यदि तटबंध का नियमित रखरखाव होता और तटबंध टूटने पर कुछ त्वरित प्रतिक्रिया होती, तो आपदा को रोका जा सकता था.


सरकारी राहत के नाम पर एक एक चिकित्सा शिविर और एक सामुदायिक रसोई के बैनर दिखाई पड़े. टूटे हुए तटबंध और सड़क संपर्क स्थल से लगभग छह किलोमीटर दूर, सहरसा-दरभंगा सीमा पर गोंडौल चौक पर इसे देखा जा सकता है. आश्रय के नाम पर, रात में बिजली की आपूर्ति के बिना बची हुई सड़क के गोंडौल-भुभौल खंड के दोनों किनारों पर अस्थायी तिरपाल तंबू थे. चल रहा राहत अभियान देखा वह लगभग पूरी तरह से विभिन्न स्थानीय संगठनों और दान पहलों द्वारा था. एक हफ्ते में पहली बार एनडीआरएफ की कुछ नावें देखी गईं, लेकिन बचाव के लिए लोगों को निजी नावों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. मोहन साव ने बताया कि उन्हें अपने मृत भाई विनोद साव और उनकी पत्नी द्रौपदी देवी के शव लाने के लिए निजी नावों की व्यवस्था करनी पड़ी. नीरो देवी अपने मवेशियों को बचाने के लिए किसी नाव की तलाश कर रही थी. माल मवेशी का भारी नुकसान हुआ है. भूभौल में कटाव के कारण सामने का गांव पूरी तरह बर्बाद हो गया है. मुसहर समुदाय की 35 झोपड़ियां पूरी तरह तबाह हो गई हैं. जबतक स्थिति सामान्य नहीं होती मृतकों और बर्बादी का सही सही आकलन नहीं किया का सकता. हमने उनकी मदद के लिए सड़क पर निकटतम पुलिस स्टेशन, जमालपुर पीएस से बात की. कामरेड शशि यादव, एमएलसी ने रोशनी, सामुदायिक रसोई, चिकित्सा देखभाल और सरकारी नावों की व्यवस्था के लिए दरभंगा डीएम से फोन पर बातचीत की. मुजफ्फरपुर में 4 जगहों पर तटबंध टूटा है. कटरा औराई के 65 गांवों में भारी तबाही है. हमलोग तटबंध निर्माण को रोके हुए हैं अन्यथा 82 गांव पूरी तरह विस्थापित हो जाती.


तत्काल उठाए जाने वाले कदम

1. बाढ प्रभावित इलाकों में तटबंधों पर अस्थायी रूप से रहे लोगों के लिए बिजली की व्यवस्था

2. हर 1 किलोमीटर पर पर्याप्त संख्या में सरकारी नाव की व्यवस्था

3. पर्याप्त संख्या में सामुदायिक किचन व पर्याप्त दवाइयों के साथ मेडिकल की व्यवस्था

4. मोटा प्लास्टिक, साफ पानी, शौचालय की व्यवस्था

5. मवेशियों के लिए चारा

6. लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई

ये कदम भी उठाए जाएं

7. सभी पीड़ितों को पक्का मकान बनाकर देने की गारन्टी

8. कोसी के पश्चिम तट की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध, बाँध को ऊंचा बनाना, बोल्डर की व्यवस्था

9. कोसी द्वारा मार्ग परिवर्तन को देखते हुए विशेषज्ञों की टीम का गठन

10. बागमती परियोजना का रिव्यू किया जाए.

कोई टिप्पणी नहीं: