आंसू सूखे नहीं थे अभी परिवारों के,
फिर से एक इतिहास दोहराया गया,
आज फिर समाज के दोहरे चरित्र द्वारा,
स्त्री के ही चरित्र पर सवाल उठाया गया,
नजर और नजरिया ही जिसका खराब है,
कहां से फिर वो सही साबित होगा?
मेरे कुछ सवाल हैं इस समाज से,
क्या ऐसा पहली बार हुआ है?
अभिमान को ठेस पहुंची एक नारी की,
मान सम्मान उसका तार तार हुआ है,
सूट पहनो तो दुपट्टा नहीं संभलता है,
जींस पहनो तो क्या लाज नहीं है?
हर किसी की आज गंदी नजर है,
लड़की कहां आज सुरक्षित है?
उसे अपने सपने पूरे करने नहीं देगी,
हाय रे ये दुनिया उसे जीने ना देगी।।
नीतू रावल
कक्षा 12
गनीगांव, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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