कविता : ज़माना आगे बढ़ गया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 16 नवंबर 2024

कविता : ज़माना आगे बढ़ गया

ज़माना आगे बढ़ चुका है,

और हम पीछे रह गए हैं,

लोग लोग करते-करते ही,

जाने कितने ईर्ष्या से जल गए,

हीरे की तलाश है सभी को,

अपने अंदर का हीरा खो बैठे,

लोग अपनी खुशियों की खातिर,

अपनों से ही बहुत दूर हो गए,

दुनिया की चाहत में बह रहे हैं,

अंदर से चिंता में मर रहे हैं,

आगे की सोचता कोई नहीं है, 

समाज के डर से चुप रह गए हैं,

देखो, ज़माना आगे बढ़ चुका है, 

और हम हैं कि पीछे रह गए हैं।।





Priyanshi-charkha-feature

प्रियांशी

ग्वालदम गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर्स

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