पटना (रजनीश के झा)। माले की केंद्रीय कमिटी सदस्य व सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि आजादी के समय से ही कम्युनिस्ट पार्टी और विगत चार दशकों से भाकपा-माले के नेतृत्व में बेतिया राज की जमीन के सरकारीकरण का लगातार संघर्ष जारी रहा है. यह उन्हीं संघर्षों का नतीजा है कि आज वह कानून अपने अस्तित्व में आ गया है. लेकिन, सरकार को इस बात की गारंटी करनी होगी कि बड़े जमींदारों व स्टेटों और भाजपा-जदयू संरक्षित दबंगों के कब्जे की जमीन का तत्काल अधिग्रहण करके वहां बसे गरीबों, भूमिहीनों, बटाईदार किसानों, बस्ती-बाजारों को बंदोबस्त करे. इसके विपरीत यदि सरकार इस कानून का दुरूपयोग भूमिहीनों की बेदखली के रूप में करेगी तो उसे और भी बड़े और जुझारू आंदोलनों के लिए तैयार रहना होगा. बेतिया राज की जमीन पर पहला हक भूमिहीनों, आदिवासियों, किसानों और लंबे समय से रह रहे आम लोगों का है. सरकार को इसी दिशा में बढ़ना होगा.
गुरुवार, 28 नवंबर 2024
पटना : सात दशकों के लगातार संघर्षों का नतीजा है बेतिया राज की जमीन का सरकारीकरण
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें