- अच्छे कर्मों का परिणाम भी अच्छा होता-पंडित राघव मिश्रा
सीहोर। मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसे ही भोगता, इसी संसार में हमारे कर्मों के अनुसार ही स्वर्ग और नर्क का निर्धारण होता है। मानव जीवन नाशवान है। जीवन को खुशहाल बनाने के लिए धन एकत्रित करने के स्थान पर नेक कर्म करने चाहिएं। कर्म मनुष्य को जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं। अच्छे कर्मों का परिणाम भी अच्छा होता है। मनुष्य के कर्म ही उसकी पहचान होते हैं। मनुष्य को ऐसे कर्म करने चाहिए, जिससे उसके जाने के बाद भी उसका नाम जीवित रहे। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में सोमवार से आरंभ हुई सात दिवसीय शिव महापुराण के पहले दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहे। कथा के पहले दिन उन्होंने देवराज के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि प्राचीन काल में एक नगर में देवराज नाम का एक ब्राह्मण रहता था, वह बहुत ही दुर्बल, दरिद्र, और वैदिक धर्म से विमुख था, वह किसी प्रकार का कोई धार्मिक कार्य भी नहीं करता और हमेशा धन अर्जित करने में ही लगा रहता था। वह सभी के साथ छल करता था और धोखा देता था। उसने कमाए हुए धन को कभी भी धर्म के काम में नही लगाया। सोमवार को अंतराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भी पहुंचे थे, पंडित श्री मिश्रा ने यहां पर आए बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं को संबोधित किया। कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि जीवन में आगे बढऩे के लिए सकारात्मक सोच होनी चाहिए। सकारात्मक सोच ही मनुष्य को भक्ति मार्ग पर लेकर आती है। भक्ति कर मनुष्य परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है। उन्होंने कहा कि गुरू की शरण में आने के बाद मनुष्य का मन निर्मल हो जाता है। उसके मन में किसी के प्रति बुरी भावना नहीं रहती। उसके जीवन से अहंकार, ईष्या, लोभ आदि भावनाएं समाप्त हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि निस्वार्थ भाव से सतगुरू की सेवा करना ही खुशहाल जीवन का मूल मंत्र है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें