सीहोर : मेहंदीपुरा बालाजी की तर्ज पर बनाया जा रहा बस स्टैंड पर हनुमान मंदिर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 नवंबर 2024

सीहोर : मेहंदीपुरा बालाजी की तर्ज पर बनाया जा रहा बस स्टैंड पर हनुमान मंदिर

  • ग्रेनाइट पत्थरों से की जा रही मंदिर की बेजोड़ नक्काशी, निर्माणाधीन मंदिर पर आएगा तीन करोड़ का खर्च, सभी समाजों का मिल रहा सहयोग

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सीहोर। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान हिंदू देवता जिन्हें संकट मोचन माना जाता इसी का रूप अब करोड़ों रुपए की लागत से शहर के बस स्टैंड पर श्री सिद्ध हनुमान मंदिर प्रसिद्ध होने जा रहा है। करीब तीन करोड़ से बनाए जाने वाले हनुमान मंदिर में 2025 में राजस्थान से लाखों रुपए से मंगाई गई जहां पर हनुमान जी के साथ ही भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर देश भर के प्रसिद्ध संतों का समागम होगा।


मंदिर समिति की बैठक तीन दिन बाद मंदिर में समिति के संरक्षक श्री-श्री 108 पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे के मुख्य आतिथ्य में किया जाएगा। बैठक में समिति के अध्यक्ष समाजसेवी रुद्रप्रकाश राठौर, मंदिर के पुजारी अनिल शास्त्री सहित बड़ी संख्या में सहयोग करने वालों के अलावा क्षेत्रवासी शामिल होंगे। बुधवार को राजस्थान के जयपुर से भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी के अलावा हनुमान जी की विशेष मूर्तियों को लाया गया था। इस मौके पर बड़ी संख्या में मूर्तियों के आगमन पर श्रद्धालुओं ने जोरदार आतिशबाजी कर हर्ष मनाया। श्री कटारे ने बताया कि शहर के बस स्टैंड पर श्री सिद्ध हनुमान मंदिर करीब साठ वर्ष पूर्व ब्रह्मलीन सूरदास मनोहर दास के द्वारा निर्मित किया गया था, लेकिन अब इसका जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है। करीब दो करोड़ रुपए अब तक निर्माण कार्य में व्यय हो गए है और प्राण-प्रतिष्ठा सहित अन्य कार्यक्रमों में एक करोड़ रुपए का खर्च आना शेष है। यह मंदिर सनातन धर्मियों के सहयोग से किया जा रहा है। सभी समाजसेवियों ने राशि देकर इस निर्माणाधीन मंदिर में सहयोग किया है।


जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी होगी

पंडित श्री कटारे बाबा ने कहा कि जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी होगी ही। जन्म और मृत्यु के बीच जो महत्वपूर्ण घटना घटती है वह है जीवन। अधिकतर लोग जान ही नहीं पाते कि जीवन को जीवन बनाया कैसे जाए, वो जन्म और मृत्यु को ही जीवन का हिस्सा समझ लेते हैं। जीते तो पशु भी हैं लेकिन, जीवन को जानने की संभावना ईश्वर ने सिर्फ मनुष्य को दी है। जन्म-मृत्यु के बीच में जीवन कैसा तैयार किया जाता है, इसका जीता-जागता उदाहरण है हनुमानजी। जिस-जिस धर्म में जो-जो भी संदेश हैं वे समूचे व्यक्तित्व यानी हनुमानजी में उतरे हैं।

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