- अब गौशाला में लगे सीसीटीवी कैमरों के रिचार्ज के नाम निकाला गया 20 हजार रुपए
- बीडीओ ऐरायां के मुताबिक नोटिस जारी कर मांगा गया है स्पष्टीकरण
- मुख्य विकास अधिकारी पवन मीणा ने पारदर्शिता के साथ न्याय जांच करने की कही बात
फतेहपुर (रजनीश के झा)। सरकार और सरकार के नुमाइंदे हमेशा ही भ्रष्टाचार मुक्त माहौल और जीरो टॉलरेंस नीति की बात करते हैं लेकिन सिस्टम में बैठे लोग उन बातों और निर्देशों का माखौल उड़ाने में भी पीछे नहीं रहते हैं। इसी कड़ी में विकास खण्ड ऐरायां की ग्राम पंचायत सुल्तानपुर घोष फिर से एक और भ्रष्टाचार की चर्चा में खूब चर्चित है। बताते चलें कि विकास खण्ड ऐरायां की ग्राम पंचायत सुल्तानपुर घोष में ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव के बीच आपसी टकराव बीते कई दिनों से चल रही है जिसकी मुख्य वजह है भ्रष्टाचार की लूट का हिस्सा का बंटवारा जिसके चलते ग्राम पंचायत का धन भ्रष्टाचार की चढ़ावा में चढ़ती जा रही है। ग्राम पंचायत की बात करें तो कई ऐसे कार्य हैं जिनमें साफ तौर पर खुली लूट नजर आ रही है। खैर इस ग्राम पंचायत को पंचायत के जिम्मेदारों ने लूट का अड्डा और जरिया बना रखा क्योंकि कोई न कोई मद में खुली लूट होती रहती है और इनके अफसरान भी शायद खुली लूट की मौन सहमति दे रखी है तभी तो आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और बेशर्मी की हद में ग्राम पंचायत अधिकारी की नियुक्ति अभी तक बनी हुई है। वैसे फिलहाल गौशाला में सीसीटीवी के नाम पर लूट देखी गई है क्योंकि गौशाला में लगाए गए सीसीटीवी कैमरा के रिचार्ज के नाम पर 20 हजार रूपए निकाले गए हैं। 23 अक्टूबर को भुगतान के लिए बनाए गए एफटीओ में गौशाला में सीसीटीवी कैमरा रिचार्ज के नाम पर 20 हजार रुपए का भुगतान ग्राम पंचायत में तैनात ग्राम रोजगार सेवक चन्द्र प्रकाश शुक्ला के नाम पर किया गया है जिसमें साफ तौर पर खुली लूट और भ्रष्टाचार की बू आती नजर आ रही है। हालांकि इस पूरे प्रकरण में मुख्य विकास अधिकारी पवन मीणा ने कार्यवाही किए जाने की बात कही है जिसके बाद खण्ड विकास अधिकारी ऐरायां अशोक कुमार सिंह ने बताया है कि उक्त प्रकरण में नोटिस जारी करते हुए संबंधित पंचायत के सचिव से स्पष्टीकरण मांगा गया है। लेकिन सवाल बनता है कि आखिरकार कौन सा ऐसा रिचार्ज है जो इतना महंगा है क्योंकि यदि किसी भी कंपनी के सिम रिचार्ज को देखा जाए तो 1.5 /2 जीबी डाटा का रिचार्ज की कीमत अधिकतम 3500 रुपए सालाना ही देखी गई है? ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों का कहना है कि गौशाला में अलग - अलग सिम डालकर 3 कैमरे चलाए जा रहे हैं अगर उस लिहाज से भी देखा जाए तो अधिकतम 12 हजार रुपए वार्षिक ही रिचार्ज का दाम होता है तो 20 हजार रुपए का भुगतान किसलिए किया गया है। यदि पंचायत का पैसा बचाना होता तो गौशाला में एक वायरलेस राउटर भी लगवाया जा सकता था जिससे कई कैमरे, मोबाइल और कंप्यूटर भी नेट से कनेक्ट हो सकते हैं और सस्ता प्लान भी मिल सकता है। लेकिन जब जिम्मेदारों ने पंचायत को लूटने का ही मन बना लिया तो बुद्धि न लगाई जाएगी और न ही किसी का सुझाव अच्छा लगेगा, खैर देखना होगा कि इस लूट और भ्रष्टाचार पर क्या होता है? हांलाकि इस पूरे प्रकरण में पंचायतीराज विभाग से लेकर हर जिम्मेदार धृष्टराष्ट्र बना बैठा है क्यूंकि सूत्रों की मानें तो हर भुगतान में ब्लॉक स्तरीय जिम्मेदारों की कहीं न कहीं मौन सहमति रहती है और उस लूट का अंश भी बंदरबांट होता है, इतना ही नहीं पंचायतीराज में बैठे सूत्रों की मानें तो ऑडिट के नाम पर खुल्लम - खुल्ला परसेंट लिया जाता है जिसके बाद ऑडिट में आल इज वेल की रिपोर्ट भी लगा दी जाती है।
विकसित भारत संकल्प यात्रा के नाम पर निकले थे 40 हजार
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यहां लूट कोई पहली बार नहीं हुई है इससे पहले भी इन्हीं पंचायत सचिव द्वारा ग्राम पंचायत में विकसित भारत संकल्प यात्रा में बड़ा खेला करते हुए ऐरायां ब्लॉक में सर्वाधिक 40 हजार रुपए का भुगतान किया गया था। ये भुगतान में 25 हजार रुपए ग्राम रोजगार सेवक चन्द्र प्रकाश शुक्ला के नाम तो 15 हजार रुपए बिशुन सिंह के नाम पर निकाला गया है। इतना ही नहीं जब ग्राम पंचायत में कराए गए इस कार्यक्रम की जानकारी ली गयी तो पता चला कि ग्राम पंचायत में स्थित एक प्राथमिक पाठशाला में सामान्य तरीके से कार्यक्रम कराया गया था जिसमें महज ब्लॉक स्तरीय अधिकारी/कर्मचारी ही कुछ लोग उपस्थित रहे थें यानी खर्च किये गए 40 हजार जैसा कुछ भी नहीं हुआ था। साथ ही बताते चलें कि ऐरायां विकास खंड ऐरायां की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत मोहम्मदपुर गौंती में इसी कार्यक्रम के लिए ग्राम पंचायत सचिव एवं प्रधान द्वारा मात्र 10 हजार रुपये का ही भुगतान किया गया था।
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