सात बार विधायक एवं जनसेवा में जीवनपर्यंत समर्पित रहे भाजपा नेता श्याम देव राय चौधरी अब नहीं रहे। प्यार से लोग उन्हें ’दादा’ कहते थे। वे काशीवासियों के दिलों पर इस कदर राज करते थे इसकी बानगी उस वक्त लगी जब उनके निधन की खबर पल भर में ही जंगल में लगी आग की तरह फैल गयी और हर आंखे नम दिखी। जनसमस्याओं को लेकर अक्सर वे अनशन पर बैठ जाते थे, नौ दिन के अनशन पर सपा भी उनके सामने नतमस्तक हो गई थी। उनकी खासियत थी कि वह जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान कराने में विश्वास रखते थे। पार्षद के तौर पर सियासी सफर की शुरुआत करने वाले दादा का हमेशा जमीन से जुड़े रहना सगल बन गया था। बेहद सादगी भरा जीवन जीने वाले दादा हमेशा रिक्शे से या फिर पैदल ही चलते नजर आते थे. विधायक रहते हुए उन्होंने कभी भी ना ही सरकारी सुविधा का लाभ लिया और नहीं गाड़ियों का इस्तेमाल किया। अक्सर वे जाने आने के लिए राह चलते लोगों की मोटरसाइकिल पर बैठकर ही कहीं आया जाया करते थे. चाय और पान की दुकान पर इनसे अक्सर लोग मिलते थे. श्यामदेव राय चौधरी की छवि बेहद ही सादगी भरी मानी जाती रही. उनके निधन पर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। बता दें, ’दादा’ वाराणसी के शहर दक्षिण से लगातार सात बार विधायक रहे। 85 वर्ष की उम्र में उन्होंने 26 नवंबर की सुबह अंतिम सांस ली। खास यह है कि जब तक वे जीएं उनकी हर सांस संघर्षो में बीता और जब अस्पताल के बेड पर पड़े तो वहां भी पखवारे भर जीवन-मृत्यु से संघर्ष में ही बीता। पिछले मंगलवार यानी 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी खैरियत पूछी थी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने वाराणसी दौरे के दौरान चौधरी को देखने अस्पताल गए थे. शोक संदेश में मोदी ने कहा है, दादा के निधन से हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती. दादा जनता में अपनी सहजता और सरलता की वजह से लोकप्रिय थे और उनके निधन से काशी ने एक लोकप्रिय नेता को खो दिया है. वे ना केवल संगठन को सींचने और संवारने में अहम योगदान दिया, बल्कि काशी के विकास के लिए भी वे पूरे समर्पण भाव से जुटे रहे.
उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने पूर्व मंत्री एवं सात बार रहे विधायक श्याम देव राय चौधरी “दादा“ के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यशाली से आम जनमानस में दादा के नाम से प्रसिद्ध रहे। वह जनसेवा में जीवनपर्यंत समर्पित रहे। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि दादा न केवल संगठन को सींचने और संवारने में अहम योगदान दिया, बल्कि काशी के विकास के लिए भी वे पूरे समर्पण भाव से जुटे रहे। उनके निधन से काशी के साथ-साथ पूरे राजनीतिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति हुई है। निधन की सूचना मिलते ही मंत्री रविंद्र जायसवाल ओरियाना हॉस्पिटल पहुंचे तथा उनके आवास पर भी जाकर परिजनों से शोक संवेदना जताई एवं सायं दादा के शव यात्रा में भी शामिल हुए। अस्पताल से दादा का पार्थिव शरीर उनके बड़ादेव स्थित निवास स्थान पर लाया गया, जहां उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। उनके आवास पर भी शोक श्रद्धांजलि व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा। काशी क्षेत्र अध्यक्ष दिलीप पटेल, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविन्द्र जायसवाल, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु, पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, सौरभ श्रीवास्तव, सुनील पटेल, वरिष्ठ भाजपा नेता शिवनाथ यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, एमएलसी धर्मेन्द्र राय सहित बड़ी संख्या में लोगों ने उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शोक संवेदना व्यक्त की।
दादा को गार्ड ऑफ ऑनर सम्मान दिया गया
सायं 5 बजे उनकी अंतिम यात्रा उनके बड़ादेव स्थित आवास से प्रारम्भ हुई जो गिरजाघर, गौदोलिया, होजकटोरा बांसफांटक होते हुए मणिकर्णिका घाट पहुंची। जहां पुरे विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि उनके कनिष्ठ पुत्र स्वप्रकाश राय चौधरी ने दी। शवयात्रा में बड़ी संख्या में भाजपा, सपा, कांग्रेस सहित व्यापारी, प्रबुद्ध जन एवं क्षेत्रीय नागरिक शामिल रहे। बता दें, शिव प्रसाद सांख्यिकी के सात पुत्र एवं एक पुत्री थी। दादा श्री श्याम देव राय चौधरी भाइयों में द्वितीय नंबर के पुत्र थे। दादा के दो पुत्र थे स्वर्गीय, प्रणव प्रकाश राय चौधरी और स्वप्रकाश राय चौधरी। जिसमें बड़े पुत्र एवं पुत्र वधू का निधन हो चुका हैं।
राजनीतिक सफर
दादा 1968 से लेकर 1976 तक जनसंघ के सभासद रहे।
दादा 1974 में भाजपा महानगर के शहर दक्षिणी विधानसभा मंडल के महामंत्री रहे।
दादा 1980 से 1988 तक भाजपा महानगर के उपाध्यक्ष रहे।
दादा 1974 में जनता कर्फ्यू आंदोलन के दौरान जेल में बंद रहे।
दादा 1975 से 1977 तक इमरजेंसी (आपातकाल) में जेल में बंद रहे।
दादा 1984 में प्रथम बार शहर दक्षिणी विधान सभा से भाजपा प्रत्याशी रहे।
दादा 1984 से 1989 तक लगातार जनसमस्याओं को लेकर सड़को अपने युवा साथियों के साथ जनांदोलन एवं संघर्ष करते रहे, जिसमें अनेक बार पुलिस की लाठियों का सामना किए और अनेकों बार जेल गए। वह आंदोलनों के प्रतीक रहे।
“’दादा नहीं यह आंधी है’“ ’“पूर्वांचल के गांधी है’“ यह नारा पूरे पूर्वांचल में गूंजता रहा।
दादा 1989 से लेकर 2017 तक शहर दक्षिणी के सात बार तक अजेय विधायक रहे।
दादा 2007 और 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर से नवाजे गए।
दादा 2007 में भाजपा बसपा गठबंधन सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार चुने गए।
शवयात्रा में रहा जमघट
भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रविन्द्र जायसवाल, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु, पुर्व मंत्री एवं शहर दक्षिणी विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, विधायक सुनील पटेल, जिलाध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा,विधान परिषद सदस्य धर्मेन्द्र राय, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, पूर्व विधान परिषद सदस्य अशोक धवन, कौशलेंद्र सिंह पटेल, संजय राय, सपा नेता एवं पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल, राकेश जैन, संजय राय, पूर्व महानगर अध्यक्ष टीएस जोशी,नवरतन राठी,सुधीर मिश्रा,लालजी गुप्ता, राकेश शर्मा, नरसिंह दास, किशन दीक्षित, पूजा यादव, संतोष सोलापुरकर, नवीन कपूर, जगदीश त्रिपाठी, हरि केशरी, साधना वेदांती , संजय केशरी, विवेक जायसवाल, विजय त्रिवेदी, नरेन्द्र पांडेय, नलिन नयन मिश्र, अमिताभ दीक्षित, किशोर सेठ सहित हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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