सीहोर : कथा के दूसरे दिन माता देवहूति व भगवान कपिल देव के संवाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 27 नवंबर 2024

सीहोर : कथा के दूसरे दिन माता देवहूति व भगवान कपिल देव के संवाद

  • सच्चा साधु हमेशा सहनशील, दयावान, क्षमाशील, दूसरे के दुख को देखकर दुखी होता है-कथा व्यास पंडित राघवेंद्राचार्य महाराज

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सीहोर। शहर के चाणक्यपुरी स्थित श्री गोंदन सरकार धाम में श्री गोंदन सरकार हनुमान महाराज की असीम अनुकंपा एवं दिव्य संरक्षण द्वारा बह्मलीन अनंत श्री पंडित महावीर शरण चतुर्वेदी दद्दा की पावन पुण्य स्मृति प्रतिवर्षानुसार संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित राघवेंद्राचार्य महाराज देवहूति-कपिल संवाद का वर्णन किया गया। मंगलवार को महाराज ने विस्तार से माता देवहूति व भगवान कपिल देव के संवाद को सुनाया। उन्होंने कहा कि एक साधु के क्या लक्षण होते हैं श्रीमद्भागवत कथा सुनने से पता चलता है। आज के समय में बहुत से लोग साधु बनकर लोगों को धोखा देते हैं। इससे लोगों को सच्चे साधु तथा महापुरुषों से विश्वास उठ गया है। ऐसा नहीं है कि संसार में सच्चे साधु नहीं हैं। हमें साधु की पहचान होने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में जो साधु के लक्षण लिखे हैं उन्हीं से साधारण व्यक्ति को भी पता चल जाएगा कि सच्चा साधु कौन होता है। सच्चा साधु हमेशा सहनशील, दयावान, क्षमाशील, दूसरे के दुख को देखकर दुखी होता है।

 

आज के समय में केवल नाम संकीर्तन करने से ही प्रभु से मिलन का रास्ता सुगम बनता

 कथा व्यास पंडित राघवेंद्राचार्य महाराज ने कहा कि आज के समय में केवल नाम संकीर्तन करने से ही प्रभु से मिलन का रास्ता सुगम बनता है। कलियुग में स्वरूप सेवा जल्दी नहीं फलती बल्कि नाम सेवा या स्मरण सेवा तुरंत फल देती है। मनुष्य के शरीर श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पदसेवन, अर्चन, वंदन, सख्य व आत्मनिवेदन नवधा भक्ति के नौ अंग हैं तथा जिनमें पारंगत होने के बाद ही कपिल मिलते हैं। जिनके द्वारा ज्ञान बाहर निकल जाता है। इंद्रियों के द्वारा संचित ज्ञान बाहर न निकले इस लिए इंद्रियों का विरोध करो तथा उन्हें प्रभु के मार्ग की तरफ मोड़ दो। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत ऐसा महाग्रंथ है जो जीवन का सार है।


केवल शुद्ध भक्ति से भगवान का पुत्र के रूप में पा सकते

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में स्पष्ट है कि ज्ञान का शत्रु है हिरण्याक्ष तथा ज्ञान के साक्षात अवतार है कपिल। नवधा भक्ति के बिना कपिल अर्थात ज्ञान नहीं आते। भक्ति ही ज्ञान में बदलती है तथा भक्ति के बाद ही ज्ञान आता है। महर्षि कर्दम व मां देवहूति के घर पुत्र के रूप में साक्षात भगवान का जन्म लेना इस बात द्योतक है कि संसारी लोग भी केवल शुद्ध भक्ति से भगवान का पुत्र के रूप में पा सकते हैं। सांख्य के बारे में विस्तृत वर्णन करते हुए कहाकि जो भौतिक तत्वों के विशेषण के माध्यम से अत्यन्त स्पष्ट वर्णन करे वह सांख्य है। दर्शन का दृष्टि से इस शब्द का प्रयोग इस लिए होता है कि सांख्य दर्शन विशेषणात्मक ज्ञान का प्रतिपादन करता है। इसी ज्ञान के द्वारा व्यक्ति जड़, पदार्थ व आत्मा में भेद करने में समर्थ बनता है। उन्होंने कहा कि सांख्य व भक्ति एक ही साधन के दो विशेष के दो स्वरूप हैं तथा सांख्य का अंतिम लक्ष्य अथवा स्वरूप केवल भक्ति ही है। कथा के यजमान अशोक गोयल एवं श्रीमती मधु गोयल आदि ने आरती की। 

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