- वीआईटी कॉलेज मांसाहारी शाकाहारी खाना एक ही किचन में बना रहा
- एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय के कुलपति को दिया ज्ञापन
छात्रों के मौलिक अधिकारो से खिलवाड़
एनएसयूआई जिला उपाध्यक्ष मनीष मेवाड़ा ने बताया की छात्रहित में आवाज उठाने वाले छात्र-छात्राओं पर जूठे इल्जामों लगाकर प्रतांडित किया जा रहा है। कॉलेज में उन्हे प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। प्रवेश के दौरान छात्र-छात्राओं से शपथ पत्र के तोर पर फार्म भरवाया जा रहा है। जिसमें कोई छात्र अपनी आवाज विश्वविद्यालय के सामने नहीं उठा पाता है। बाबा भीमराव अम्बेडकर के संविधान वाले इस भारत देश में यह विश्वविद्यालय छात्रों के मौलिक अधिकारो से खिलवाड़ कर रहा है। विश्वविद्यालय में भोजन की सही स्वच्छा व्यवस्था नही होने के कारण छात्र-छात्राओं को कई समस्या का सामना करना पड़ता है, इससे उनके स्वास्थ को हानी हो रही है।
किया जा रहा है धार्मिक सामाजिक अन्याय
मेवाड़ा ने कहा कि वीआईटी कॉलेज में कोई डिग्रीधारी डॉक्टर भी नही है यदि किसी छात्र या छात्राओं स्वास्थ्य संबन्धित कोई परेशानी होती है तो नियमित ईलाज भी नसीब नहीं होता है। अर्किटेक्चर बिल्डिंग कॉच एवं लोहे कि है जिस कारण से छात्र-छात्राओं को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। वीआईटी कॉलेज में हर विषय में छात्र-छात्राओं के साथ धार्मिक एवं सामाजिक अन्याय किया जा रहा है। कॉलेज के मेज में शाकाहारी व मासाहारी भोजन को एक ही किचन में बनाया जा रहा है, जिससे शुद्ध शाकाहारी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हो रहा है।
उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा एनएसयूआई
कॉलेज से निकाले गए छात्र छात्राओं को जल्दी प्रवेश नहीं दिया गया और समस्याओं का तत्काल निराकरण नहीं किया गया तो भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा। ज्ञापन देने वालों में एनएसयूआई कार्यकर्ता अखिलेश राजपूत, यश यादव, लकी सक्सेना, अन्वेश पटेल, तनीष त्यागी, विवेक, प्रमोद वर्मा, विजय सोलंकी, अंकुर ठाकुर, यमन यादव, पवन ठाकुर,अक्षत संगर, राहुल पटरिया, अभिषेक लोधी, दिग्विजय मेवाड़ा, दीपेश राजपूत, रवि बैरागी, अंकित कोशल, शुभम त्यागी, देवेंद्र राजपूत, आशुतोष नामेदव,, योगेन्द्र गोयल आदि शामिल रहे।
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