इस मौके पर मंच की ओर से मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि देवउठनी एकादशी पर खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन मनाया जाता है, मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल की एकादशी के दिन ही घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक का जन्म हुआ, जिसे खाटू श्याम कहते हैं। महाभारत में वर्णित है कि भीम के पुत्र घटोत्कच थे। उन्हीं के पुत्र थे बर्बरीक, बर्बरीक देवी मां के भक्त थे। बर्बरीक की तपस्या व भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां ने उन्हें तीन बाण दिए थे जिनमें से एक तीर से संपूर्ण वे पृथ्वी का विनाश कर सकते थे। ऐसे में जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने अपनी माता हिडिम्बा से युद्ध लडऩे की पेशकश की। तब बर्बरीक की माता ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी इसलिए शायद युद्ध में कौरव पांडवों पर भारी पड़ेंगे, तब हिडिंबा ने कहा कि तुम हारने वाले के पक्ष में युद्ध लड़ोग। इसके बाद माता की आज्ञा लेकर बर्बरीक महाभारत के युद्ध में शामिल होने के लिए निकल पड़े। लेकिन, भगवान श्रीकृष्ण को पता था कि जीत पांडवों की होने वाली है अगर बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुंचते हैं तो वे कौरव पक्ष में युद्ध लड़ेंगे. इसलिए भगवान श्री कृष्णा भिक्षु का रूप धारण कर बर्बरीक के पास पहुंचे तब, भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया। दानशीलता के कारण बर्बरीक ने बिना किसी सवाल के अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान दे दिया। इसी दानशीलता के कारण श्री कृष्ण ने कहा कि तुम कलयुग में मेरे नाम से पूजे जाओगे, तुम्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजा जाएगा, तुम कलयुग का अवतार कहलाओगे और हारे का सहारा बनोगे।
रात्रि को की आश्रम में पूजा अर्चना
रात्रि को जिला संस्कार मंच के जिला संयोजक जितेन्द्र तिवारी सहित अन्य ने यहां पर भजन संध्या के उपरांत रंगोली आदि सजाकर देव उठनी ग्यारस की पूजा अर्चना के साथ वृद्धजनों के मध्य आतिशबाजी की।
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