सीहोर : आज किया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी विवाह का वर्णन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

सीहोर : आज किया जाएगा भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी विवाह का वर्णन

  • खाटू श्याम भजन संध्या का आयोजन-भजन गायकों ने एक से बढ़कर एक दी भजनों की प्रस्तुति, बाबा का सजाया अलौकिक दरबार
  • मन ही माया के बंधन में बंधा रहता है-कथा व्यास पंडित राघवेन्द्राचार्य महाराज

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सीहोर। शहर के चाणक्यपुरी स्थित श्री गोंदन सरकार धाम में श्री गोंदन सरकार हनुमान महाराज की असीम अनुकंपा एवं दिव्य संरक्षण द्वारा बह्मलीन अनंत श्री पंडित महावीर शरण चतुर्वेदी दद्दा की पावन पुण्य स्मृति प्रतिवर्षानुसार संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत रात्रि को भजन संध्या में स्थानीय भजन गायकों ने अपनी प्रस्तुति दी। रातभर चली इस विशाल भजन संध्या में खाटू श्याम का अलौकिक दरबार सजाया गया। भक्तों पर पुष्प तथा इत्र वर्षा हुई। साथ ही दरबार मे अखंड ज्योत जगी। इस विशाल भजन संध्या में बाबा खाटूश्याम का विशेष श्रृंगार किया गया। इधर शुक्रवार को दोपहर में आयोजित भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाललीलाओं के अलावा गोवर्धन पूजन का महत्व और छप्पन भोग की आरती सजाई गई थी। कथा व्यास पंडित राघवेन्द्राचार्य महाराज ने कहा कि बुद्धि अल्पज्ञ और ईश्वर सर्वज्ञ है। बुद्धि प्रकाशित और ईश्वर प्रकाशमान है। मन की दो परिस्थिति होती हैं, भय और लोभ। मन हमेशा भय या लोभ से ग्रसित होता हैं। मन ही माया के बंधन में बंधा रहता है। अत मन ही बंधन का कारण है। इसलिए मन को गोविंद के चरणों में लगा दो। ईश्वर को जानकर ही कोई जीव माया से पार हो सकता है, इसका अन्य कोई मार्ग नहीं है किंतु हम ईश्वर को कैसे जाने, इसके उत्तर में वेदों-शास्त्रों से ढेरों प्रमाण देते हुए कहा कि ईश्वर को कोई जान ही नहीं सकता, क्योंकि ईश्वर इन्द्रिय, मन एवं बुद्धि से परे है।


सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान पंडित राघवेन्द्राचार्य ने गोवर्धन पूजन का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि इंद्र ने क्रोधित होकर भयंकर आंधी तूफान बारिश की। जिससे समस्त गोकुल में त्राहि-त्राहि मच उठी। रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर श्री गोवर्धन पर्वत को धारण किया एवं समस्त गोकुल वासी को शरण दी। इंद्र के कुपित होने पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। अहंकार को नष्ट करने के लिए ही भगवान ने गोवर्धन की पूजन का क्रम आरंभ करवाया था। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए गोवर्धन पूजा कराई थी। युवा पीढ़ी में सेवा भाव कम हो गया है। जिससे अब तो बुढ़ापा एक अभिशाप बन गया है। इसी कारण वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारतीय संस्कृति दिन-प्रतिदिन विलुप्त होती दिखाई दे रही है। युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल रही है। ऐसे समय में युवाओं को शिक्षा के साथ संस्कार का ज्ञान देना होगा। जब बात राष्ट्र की हो, धर्म की हो, भारतीय संस्कृति की हो तब भारत का साधू अपनी ज्ञान की झोली फैलाने में संकोच नहीं करता। मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे फल भी वैसे ही भोगने पड़ते हैं। प्रभु राम व कृष्ण ने मनुष्य रूप में दुष्टों का संहार करते हुए अनेक लीलाएं कीं। धर्म की रक्षा और दुष्टों के संहार के लिए ही भगवान ने अवतार लिए। भगवान ने अवतार लेकर वकासुर, अघासुर, धेनुकासुर आदि राक्षसों का वध किया। इंद्र का अहंकार तोडऩे के लिए गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठा लिया।


आज रुकमणी विवाह का आयोजन किया जाएगा

समस्त गोंदन सरकार भक्त मंडल की ओर से जानकारी देते हुए पंडित जितेन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी विवाह का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। कथा के अंत में यजमान अशोक गोयल और श्रीमती मधु गोयल सहित अन्य ने आरती और प्रसादी का वितरण किया। 

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