- हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बैंडबाजों के साथ निकाला जुलुस
सीहोर। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली से एक दिन पहले गुरुवार की शाम को वैकुंड चतुर्दशी आस्था और उत्साह के साथ मनाई गई। इस मौके पर हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में बैंडबाजों के साथ शोभा यात्रा निकाली और जयकारे के साथ पूजा अर्चना की। विष्णु के अधिपत्य वाले दिन गुरुवार का होना अत्यंत शुभ मनाया जाता है। खास बात यह है कि यह एकमात्र ऐसा दिन होता है जब विष्णु और शिव की एक साथ पूजा होती है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव चतुर्मास समाप्त होने पर भगवान विष्णु को सृष्टि की सत्ता सौंपते है। पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि इस दौरान आस्था और उत्साह के साथ श्रद्धालुओं के साथ भगवान विष्णु भगवान शंकर को तुलसी की माला अर्पित करते है, वहीं भगवान शंकर द्वारा भगवान विष्णु को वेलपत्र की माला अर्पित की जाती है। इस दिव्य दर्शन को श्री हरिहर मिलन कहा जाता है। वैकुंठ चतुर्दशी पर श्री हर श्री हरि को सृष्टि का भार सौंपते हैं। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करते हैं। उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान शिव के पास होती है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुन: श्री विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। इस दिन को वैकुंठ चतुर्दशी और हरिहर भेंट कहा जाता है।
हरि-हर मिलन के इस दुर्लभ क्षण का नजारा श्रद्धालुओं को आनंदित कर देने वाला था
चार माह से सृष्टि का संचालन कर रहे भगवान शिव यह भार उन्हें सौंपेंगे। हरि-हर मिलन के इस दुर्लभ क्षण का नजारा श्रद्धालुओं को आनंदित कर देने वाला था। इस क्षण को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु श्री कुबेरेश्वर धाम पहुंचे। कुबेरेश्वर धाम में संगीतमय कथा पंडित राघव मिश्रा एवं पंडित शिवम मिश्रा के मुखारबिंद से वाचन की जा रहीं हैं। कथा के चौथे दिन कथा के अंत में पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा बताया गया था यहां पर हरि से हर का अनूठा मिलन होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें