- भक्तों ने दर्शन पूजन के साथ हर हर महादेव का उद्घोष किया
- मां अन्नपूर्णा दरबार में भी सजा अन्नकूटए लगा छप्पन प्रकार का भोग
मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि अन्नकूट पर्व केवल एक पारंपरिक आयोजन नहीं हैए बल्कि यह सनातन एकताए सनातन बंधुत्व भाव और दान के महत्व को भी रेखांकित करता है। इस दिनए भक्तगण एकत्र होकर न केवल श्री काशी विश्वनाथ जी की आराधना करते हैंए बल्कि एक.दूसरे के साथ मिलकर पर्वोल्लास का आदान.प्रदान भी करते हैं। यह पर्व सनातन धर्मियों में परस्पर एकजुटता और स्नेह द्वारा सनातन समाज में समृद्धि बढ़ाने का भी संदेश देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और प्रेम के साथ सभी सनातनधर्मी एक वृहद सनातन परिवार के सदस्य हैं। अन्नकूट पर्व उत्सव पर भगवान शंकरए गौरी माताए गणेश जी की पंचबदन रजत चल प्रतिमा की भव्य आरती मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण द्वारा श्री विश्वेश्वर प्रांगण स्थित भगवान सत्यनारायण विग्रह के बगल विद्वान आचार्यगण एवं शास्त्रीगण के पौरोहित्य में संपन्न की गई। तत्पश्चात भव्य डमरू वादन के साथ पीएसी बैंड बाजे की तुमुल ध्वनि नाद के मध्य पंचबदन चल प्रतिमा की शोभायात्रा भगवान सत्यनारायण मंदिर से गर्भगृह तक संपन्न कर भगवान विश्वनाथ की मध्याह्न भोग आरती विधि विधान पूर्वक संपन्न की गई।
मां अन्नपूर्णा के दरबार के साथ ही काशी के मंदिरों में अन्नकूट सजा और भक्तों ने माता के दर्शन कर अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान भक्तों ने माता अन्नपूर्णा के दरबार में जयकारे लगाए डमरू बजाया और माता से आशीर्वाद मांगा। पांच दिवसीय स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन के आखिरी दिन माता का दरबार छप्पन भोग से सजा। माता का विशेष श्रृंगार किया गया आरती उतारी गई इसके साथ ही अब अगले साल दर्शन होंगे लिहाजा पूरे साल धन धान्य से पूर्ति का आशीर्वाद मांगा गया। कथा पर गौर करें तो माता अन्नपूर्णा के दरबार में बाबा विश्वनाथ ने काशी के भरण के लिए भिक्षा मांगी थी। मान्यता है कि आज भी कहा जाता है कि मां के आशीर्वा से काशी में कोई भूखा नहीं सोता। माता के धाम में पांच दिन तक भक्तों की भीड़ रही। भक्तों ने दर्शन पूजन के साथ खजाना प्राप्त किया। दीपावली के बाद हर साल माता अन्नपूर्णा के दरबार में अन्नकूट सजता है जिसका भक्तों को बेसब्री से इंतेजार होता है। कहा जाता है कि माता के दरबार के सजे हुए अन्नकूट का दर्शन अगर किसी को मिल जाए तो भक्त का अन्न भंडार कभी खाली नहीं होता। भक्त ब्रह्म मुहुर्त से ही कतार में लग गए और माता के दरबार में हाजिरी लगाकर दर्शन कर प्रसाद प्राप्त किया। काशी के अन्य मंदिरों में भी अन्नकूट सजा जिसका आकर्षण हर किसी की नजरों में उतरा। बड़ा गणेश मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी लड्डू का प्रसाद सजाया गया और हर ओर जयकारा लगते नजर आया।
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