वाराणसी : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया ‘नमो घाट’ का लोकार्पण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

वाराणसी : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया ‘नमो घाट’ का लोकार्पण

  • उप राष्ट्रपति ने स्वदेशी को जीवन में लोगो से अपनाये जाने पर दिया जोर, चेतसिंह पर लेजर शो एवं गंगा आरती का दृश्यावलोकन कर हुए अभिभूत

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वाराणसी (सुरेश गांधी)। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने देव दीपावली के मौके पर शुक्रवार को दुनिया के सबसे बड़ा नमो घाट का लोकार्पण एवं देव दीपावली का विधिवत शुभारंभ“ किया। इस अवसर पर उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ भी उपस्थित रही। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का शाल ओढ़ाकर एवं नमो घाट पर हाथ का बने नमस्ते मुद्रा का प्रतीक चिन्ह भेट कर स्वागत किया। इस अवसर पर अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया सहित स्थानीय कलाकारों द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम की कई प्रस्तुति भी हुई। इसके बाद लोगो ने चेतसिंह पर लेजर शो तथा गंगा आरती का दृश्यावलोकन किया। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोगो का संबोधित करते हुए कहा आज मेरा मन पूरी तरह अभिभूत हूं। दुनिया के सबसे बड़े नमो घाट का लोकार्पण करने के अवसर को अपने जीवन का प्रमुख और बड़ा दिन बताया। उन्होंने कहा कि आज कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली के साथ ही प्रथम सिख गुरु गुरुनानक की 555वां प्रकाश पर्व के साथ ही भगवान विरसामुंडा की 150 वीं जयंती के अवसर पर देशवासियों के साथ ही विशेषकर काशीवासियों को बधाई दी। उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सनातन की भूमि है। जबकि काशी इसका केंद्र। सनातन में विश्व शांति का संदेश है। सनातन सभी को समाहित करता है। सनातन विभाजनकारी ताकतों का विरोध करता है।


नमो घाट पर आयोजित भव्य समारोह के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति ने सनातन को भारत की आत्मा बताते हुए कहा कि सनातन राष्ट्र धर्म, भारतीयता का प्रतिबिंब है। सनातन हमें एक सीख देता है, दृढ़ रहने की, एक रहने की, मजबूत रहने की। और आज के समय में चुनौतियों को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है कि सनातन की मूल भावना में हमारा विश्वास हो। सनातन भारत की आत्मा है और सनातन को चुनौती असहनीय है। उन्होंने कहा कि अपना भारत बदल रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं योगी आदित्यनाथ की तपस्या से हो रहे विकास कार्य से दुनिया अचंभित है। उप राष्ट्रपति ने काशी की बखान करते हुए कहा कि “जहां की मिट्टी पारस हैं, उस शहर का नाम बनारस है।“ काशी मोक्ष की नगरी है। आज काशी विकास एवं अध्यात्म का समन्वय है। काशी जैसा कल्चरल सेंटर कही भी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के लिए समर्पित हैं। हमारी सांस्कृतिक विरासत पूरी दुनिया को संदेश देता हैं। सनातन हमें एक और मजबूत रहने का संदेश देता हैं। भारत दुनिया में बड़ी ताकत के रूप में अग्रसर हैं। भारत सनातन की आत्मा है। सनातन के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प सभी को लेना चाहिए। कोई भी हित मेरे लिए देश हित से ऊपर नहीं है। स्वदेशी को जीवन में लोगो से अपनाये जाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होने के साथ ही विदेशी मुद्रा को बचाने के साथ ही रोजगार के अवसर भी लोगो को मिलेगा। उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण वातावरण एवं माहौल को बनाए रखना ही हमारी पूंजी हैं।


संस्कृति और विरासत के संरक्षण पर ज़ोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि हमें ये याद रखना चाहिए की हमारी सांस्कृतिक जड़ें ही हमारे वर्त्तमान और भविष्य का निर्माण करती हैं। सांस्कृतिक जड़ें बहुत जरूरी होती हैं, हमें जीवंत रखती हैं। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, अपना भारत बदल रहा है। अकल्पनीय तरीके से बदल रहा है। जो सोचा नहीं था, वह देश में संभव हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी जी की तपस्या से जो बदलाव हो रहा है, उसने दुनिया को अचंभित कर दिया है। जल हो, थल हो, आकाश हो, अंतरिक्ष हो, भारत की बुलंदियों को दुनिया सराह रही है। हमारी जो सांस्कृतिक विरासत है, जो दुनिया में अनूठी है और 5000 साल से अधिक पुरानी है, उसका संरक्षण और उसका सृजन जिस प्रकार हो रहा है, वह देखने लायक है। स्वदेशी जागरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने कहा, स्वदेशी का भाव अपने में जागृत करें। स्वदेशी हमारी आजादी का विशेष अंग रहा है। स्वदेशी दीप देश की मिट्टी, तेल और रुई का प्रतीक है। एक दीप से अनेक दीप, स्वदेशी भाव का जागरण और प्रसार।  स्वदेशी जागरण समृद्धि का मार्ग है। इससे आत्मनिर्भरता, विदेशी मुद्रा का बचाव और स्वदेशी रोजगार का फैलाव होता है। इसमें हर व्यक्ति योगदान कर सकता है। सामाजिक समरसता को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, सामाजिक समरसता हमारे सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहा है। इस देश में कभी भी किसी ने आक्रमण की नहीं सोची है। आक्रमणकारियों को हमने समाहित किया है। हमारी संस्कृति हमें प्रेरणा देती है सभी को साथ लेकर चलें। भारत सामाजिक समरसता की नींव है। दुनिया को बड़ा संदेश देती है। उन्होंने कहा कि हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, मनभेद कम से कम होने चाहिए। पर जब राष्ट्र हित की बात हो तो इसको सर्वोपरि रखना चाहिए।

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