श्रमण डॉ. पुष्पेंद्र ने बताया कि भगवान पार्श्वनाथ ने तत्कालीन समाज में व्याप्त हिंसा व आडंबर का प्रतिवाद किया था। उनकी शिक्षाएं अहिंसा, सत्य, अचौर्य, और अपरिग्रह में आध्यात्मिकता और नैतिकता का मार्ग दिखाती हैं। इन सिक्कों के माध्यम से जैन धर्म की अमूल्य धरोहर और भारतीय संस्कृति की विविधता को विश्व स्तर पर प्रसारित करने का अवसर मिल सकेगा। इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिए जैन समाज भारत सरकार एवं वित्त मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त करता है। ऐसे प्रयत्न हमारे धर्म और श्रेष्ठ परंपराओं का सम्मान बढ़ाने में निमित्त एवं भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। श्रमण डॉ. पुष्पेंद्र ने बताया कि 25 दिसम्बर 2024 को भगवान पार्श्वनाथ के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किये जाएंगे। 25 दिसम्बर को पौष बदी दशम होने से देश दुनिया में भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया जाएगा। इसी अवसर पर सरकार सिक्के और डाक टिकट जारी करेगी।
उदयपुर 22 नवंबर (रजनीश के झा)। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 2900वें जन्म कल्याणक एवं 2800वें निर्वाण कल्याणक महोत्सव के उपलक्ष्य में 25 दिसंबर 2024 को भारत सरकार द्वारा क्रमशः 900 और 800 रुपये के स्मारक सिक्के जारी किए जाएंगे। 18 नवंबर 2024 को भारत के राजपत्र में जारी अधिसूचना के अनुसार 44 मिलीमीटर के वृत्ताकार ये सिक्के शुद्ध चांदी के होंगे। सिक्के के अग्रभाग में ‘सत्यमेव जयते’ उद्घोष युक्त राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ एवं सिक्के का मूल्य 900 और 800 रुपये अंकित होंगे। सिक्के के पृष्ठभाग के मध्य में तीर्थंकर पार्श्वनाथ की मूर्ति की छवि एवं परिधि में हिंदी और अंग्रेजी में ‘भगवान पार्श्वनाथ का 2900वाँ जन्म कल्याणक’ एवं ‘भगवान पार्श्वनाथ का 2800वाँ निर्वाण कल्याणक’ अंकित होंगे। हिंदी व अंग्रेजी के नाम के बीच वर्ष ‘2024’ अंकित होगा। साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग ने बताया कि 2900 वर्ष पूर्व वाराणसी में जन्मे ऐतिहासिक तीर्थंकर पार्श्वनाथ का 2800 साल पहले सौ वर्ष की आयु में सम्मेद शिखर पर्वत पर निर्वाण हुआ था। उनकी आयु सौ वर्ष होने से पूर्णांक को इंगित करने वाले उनके दोनों कल्याणक एक ही वर्ष में हैं। डॉ. धींग ने बताया कि 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का पूरा परिवार तीर्थंकर पार्श्वनाथ का उपासक था। भारतीय चित्रकला, मूर्तिकला और मंदिर शिल्प के विकास में भगवान पार्श्वनाथ के चित्रों, मूर्तियों और मंदिरों का अतुलनीय योगदान है।
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