डॉ. महापात्र ने सभी छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें छात्र अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं | “परिश्रम ही सफलता की कुंजी है” का मंत्र देते हुए उन्होंने सभी छात्रों को अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने को कहा | इस अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफॉर्म, कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन के विविध प्रयोग, डिजिटल कृषि उद्यमिता एवं पूर्वी क्षेत्र के लिए क्षेत्र विशेष प्रोद्योगिकी का विकास, फसल विविधीकरण एवं धान-परती भूमि में दलहन के समावेश पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने लघु एवं सीमांत किसानों के लिए समेकित कृषि प्रणाली के मॉडल बनाने एवं स्थानीय नस्ल के संरक्षण पर जोर दिया | छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने आप को इस काबिल बनाएं कि आप लोगों के लिए रोजगार सृजन कर सकें | साथ ही, उन्होंने जलजमाव क्षेत्रों के लिए क्षेत्र विशेष प्रबंधन रणनीति बनाने पर जोर दिया। डॉ. राउत ने संस्थान द्वारा बकरी के आनुवंशिक सुधार पर जोर देते हुए संस्थान द्वारा भैंस पर नेटवर्क परियोजना एवं बकरी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP on Goat) आदि विषयों पर किए जा रहे कार्यों की सराहना की।
इससे पूर्व, संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने अपने संबोधन में संस्थान द्वारा विकसित धान, सब्जियों, फलों के किस्मों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तकनीकों एवं संस्थान द्वारा चलाई जा रही प्रमुख परियोजनाओं जैसे, धान-परती भूमि प्रबंधन, जलवायु अनुकूल कृषि, जल के बहुआयामी उपयोग तथा कई महत्वपूर्ण पहल जैसे, कार्बन फार्मिंग, डिजिटल कृषि, फ्यूचर फार्मिंग एवं “निरंतर आय और कृषि स्थिरता के लिए सहभागी अनुसंधान अनुप्रयोग (PRAYAS)” परियोजना, जिसके तहत पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों के कमजोर वर्ग के गाँवों विशेषकर एक-एक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के गाँव की आजीविका में सुधार हेतु शोध एवं प्रसार कार्य कर रहा है, के बारे में अतिथियों को अवगत कराया । इस कार्यक्रम में संस्थान सभी वैज्ञानिकगण, आईएआरआई पटना हब के छात्र एवं अन्य कर्मी उपस्थित थे | मंच का संचालन डॉ. रजनी, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कमल शर्मा, प्रभागाध्यक्ष, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन ने दिया | डॉ. पी. सी. चंद्रन, प्रधान वैज्ञानिक ने पूरे कार्यक्रम का समन्वय किया |
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