- 26 जनवरी 2025 तक 2 महीने का चलेगा संविधान बचाओ अभियान
- विधानसभा से लेकर दूर-दराज के गांवों में हुआ मार्च, प्रस्तावना का पाठ
- राजधानी पटना में जीपीओ गोलबंर से बुद्ध स्मृति तक निकला मार्च
विधानसभा के अंदर आज माले विधायकों ने भी प्रदर्शन किया. माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि भाजपा-आरएसएस हर दिन संविधान का एक पन्ना फाड़ डालने की कोशिश कर रही है. ऐसे में संविधान प्रदत्त अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए हमें जनता का व्यापक संघर्ष खड़ा करना है. यही फासीवादी हमले को हराने का सबसे प्रभावी तरीका है. पटना में जीपओ गोलंबर से आयोजित आज के संविधान मार्च का नेतृत्व पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, महानगर सचिव अभ्युदय, मुर्तजा अली, जितेन्द्र कुमार, कमलेश कुमार, माधुरी गुप्ता सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता कर रहे थे. कार्यक्रम में राखी मेहता, पन्नालाल सिंह, संजय यादव, पुनीत कुमार, शिक्षाविद गालिब, प्रमोद यादव सहित बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे. पटना के अलावा नवादा, दरभंगा, गया, मसौढ़ी, बिहारशरीफ, भागलपुर, सिवान, दाउदनगर, आदि मुख्यालयों पर भी मार्च निकाले गए.
पटना में बुद्ध स्मृति पार्क पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि संविधान पर हमला तब तेज हो रहा है जब हम संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ और उसके बाद गणराज्य की स्थापना व संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ (26 जनवरी, 2025) की ओर बढ़ रहे हैं. राजसत्ता पर काबिज संघ-भाजपा ने देश की आर्थिक और विदेश नीतियों में दक्षिणपंथी, पूंजीवादी और साम्राज्यवादी रुख अपना लिया है. अब वे संविधान को कुचलने और उसकी मूल भावना को कमजोर करने, साथ ही संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन कर रहे हैं. महाराष्ट्र और झारखंड के चल चुनावों में भी भाजपा संविधान की रक्षा की आवाज उठाने वाले ‘इंडिया’ गठबंधन को बदनाम करने के लिए चैंकाने वाले झूठ और अपमानजनक आरोपों का सहारा ले रही थी. वह ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा संविधान की रक्षा के लिए आवाज उठाने को ‘अर्बन नक्सल’ का एजेंडा बता रही है, संविधान की लाल किताब को चीन से जोड़ रही है, और कांग्रेस पर खाली पन्नों वाली संविधान की प्रतियां बांटने का आरोप लगा रही है. इससे साफ पता चलता है कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर कितनी असहज और कमजोर है. संविधान की प्रस्तावना से पंथनिपरेक्षता और समाजवाद को निकाल देने की साजिश हो रही है और इसके जरिए संविधान की मूल भावना को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन यह भी तय है कि संविधान और संविधान द्वारा जनता का संघर्ष खड़ा करना फासीवादी हमले को परास्त करने का सबसे कारगर तरीका है.
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