- श्रद्धा, उमंग, उल्लास से मनाया गया भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में दिवाली, जमीन से लेकर अंबर तक जगमगाया शहर, जमकर हुई आतिशबाजी
- विश्वनाथ धाम में पहली बार लक्ष्मी पूजा, घाट और गलियों तक दिखी रौनक, मंदिरों, खेल मैदानों में भी भव्य सजावट
रात में शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन कर लोगों ने मंदिरों व सूने पड़े घरों के बाहर भी दिए प्रज्वलित किए। घरों के बाहर बच्चों की टोलियां पटाखों से धूम धड़ाका करने में व्यस्त दिखी, तो बड़े एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं देने और मुंह मीठा करने-कराने व्यस्त थे। शहर के सभी मोहल्लों व ग्रामीण अंचलों में दिव्य एवं भव्य सजावट और रोशनी की गई थी, जिसे देखने लोग उमड़ पड़े। भीड़ को देखते हुए यातायात पुलिस ने चौक चौबंद व्यवस्था की थी। दिनभर बाजारों में मिठाईयों, पटाखें की दुकानों पर काफी भीड़ रही। रात होते ही घरों में और प्रतिष्ठानों में दीये जगमगा उठे। आकाश में आतिशबाजी के नजारे भी एक अलग ही छटा बिखेर रहे थे। रंग-बिरंगे रोशनी के नजारे को देखने से विदेशी पर्यटक भी नहीं चूके। आकर्षण नजारों का हर कोई अपने कमरे में कैद करते हुए नजर आया। तो दुसरी तरफ आकर्षक झालरों से सजे मंदिरों की युवाओं ने भी सेल्फी ली। शहर के हर मंदिरों में कछ ऐसा ही नजारा रहा, जहां लोग इस नजारे को देखकर रुक-रुक कर निहार रहा थे। इस मनोरम दृष्य को ड्रोन से कैद किया गया। देर रात तक बाजारों में भीड़ नजर आ रही थी। लोगों ने उल्लासित होकर पर्व मनाया और एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के पूजन के साथ त्योहार का समापन हुआ। मां लक्ष्मी के स्वागत में घरों के दरवाजे पर भी वंदनवार सजे थे। सिगरा सहित विभिन्न खेल मैदानों को इलेक्ट्रिक झालरों और दीयों से सजा दिए गए। परमानंद स्थित खेल मैदान में हॉकी सहित विभिन्न खिलाड़ियों ने दीप जलाकर एक-दूसरे को खेल की बधाई दी। कोच सहित परिजनों ने भी उनका भरपूर साथ दिया।
निभाई बही-खाता पूजन की परंपरा
दिवाली पर व्यापार में भी पूजा-अर्चना का खास महत्व रहता है। मान्यता है कि इस दिन बही-खाता की पूजा करने पर पूरे साल धन की आवक बनी रहती है। ऐसे में शहर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों पर बही-खाता, दवातख् कलम, लक्ष्मी-गणे, कुबेर आदि का पूजन किया। इसके अलावा व्यापारियों ने व्यापारिक कार्य में उपयोगी लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल आदि की भी पूजा की।
बाबा विश्वनाथ धाम बना लोगों के आकर्षण का केन्द्र
दीपावली पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में दीप सज्जा और सनातन शास्त्रीय नवाचार हुआ। ब्रह्मांड में ज्योति से प्रकाश की उत्पत्ति स्वयं महादेव ने ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकाश स्तंभ के रूप में की है। शिवपुराण में इसका जिक्र है। ऐसे में ज्योति पर्व का अनुष्ठान ज्योतिर्लिंग धाम में समारोह का आयोजन शास्त्रों के हिसाब से किया जाता है। इसी सनातन विचार के क्रम में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने विशिष्ट सज्जा के साथ शास्त्रीय आराधना कराई। पहली बार उत्सव में मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने सपरिवार पूजा की। मंदिर प्रांगण में श्री सत्यनारायण भगवान के मंदिर में महालक्ष्मी और गणपति की आराधना की गई। सनातन समाज, राष्ट्र और विश्व के सुखी होने की कामना की गई। दीपावली में भगवान विश्वनाथ की षोडशोपचार आराधना के बाद मां अन्नपूर्णा की पूजा की गई। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें