- जहां पर सम्मान नहीं हो वहां पर जाना व्यर्थ है : पंडित शिवम मिश्रा
सीहोर। घर बड़ा हो या फिर छोटा अगर घर में मिठास न हो, तो इंसान तो क्या घर में चींटियां भी नहीं आतीं, घर में मिठास और आदर-सम्मान न होने पर, घर का आकार बड़ा या छोटा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस जगह आपका सम्मान ना हो, कोई आदर ना करे, वैसी जगह पर नहीं रहना चाहिए। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पंडित शिवम मिश्रा ने कहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जिस जगह आपके सीखने के लिए कोई गुण ना हो, लोगों में गुणों का अभाव हो, उस जगह को भी छोड़ देना चाहिए। यहां पर बारिश नहीं होती, वहां की फसल नष्ट हो जाती है, जहां पर संस्कार-धर्म नहीं होते वहा की नस्लें नष्ट हो जाती है। भगवान श्रीराम और भगवान श्री कृष्ण आज भी हमारे आदर्श है। इनके बताए मार्ग पर चलने से हम जीवन में सफल हो सकते है। अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में सुबह कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा के द्वारा शिव महापुराण और दोपहर में कथा व्यास पंडित शिवम मिश्रा के द्वारा श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है। कथा के चौथे दिन श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्रीराम और श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। इसमें श्रद्धालु जमकर थिरके। भगवान श्री कृष्ण के जयकारों तथा नंद के आनन्द भयो, जय कन्हैयालाल की जय से गूंजायमान हो उठा। पंडित श्री मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उदघोष के साथ नृत्य करने लगे।
भगवान श्रीकृष्ण का पूरा जीवन कर्म के सिद्धांत का पालन करना सीखता
पंडित शिवम मिश्रा ने कहा कि श्रीकृष्ण की हर लीला एक सीख है। बाल्यकाल में गायें चराते चरवाहे के तौर पर प्रकृति प्रेम का संदेश दिया तो युवा काल में बालसखा सुदामा से मित्रता निभाकर नई मिसाल कायम की। एक युग बाद इन सीखों की अहमियत और बढ़ गई है। हमें भगवान का अनुसरण करना चाहिए नकल नहीं, नकल करेंगे तो हम समाज में अपमानित होंगे। कृष्ण ने प्रेम की भाषा का ज्ञान दिया तो धर्म की स्थापना के लिए महाभारत भी हुआ। उन्होंने असुरों का संहार किया तो भक्तों की हर इच्छा पूरी भी की। गीता में दिए गए भगवान कृष्ण के उपदेश का अनुपालन जीवन को सही राह दिखाते हैं। भगवान कृष्ण के जीवन से ज्ञान लेकर इनको अपने जीवन में अनुसरण करेंगे तो आपका जीवन सरल और आनंदमय बना सकता है। भगवान श्रीकृष्ण का पूरा जीवन कर्म के सिद्धांत का पालन करना सीखता है।
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