- शहर से लेकर देहात तक में छठ पर्व का दिनभर छाया रहा उल्लास, नदियों व जलाशयों पर गूंजे छठ माता के गीत
- शुक्रवार को उदयाचलगामी सूरज को अर्घ्य देने व पारण के साथ ही छठ महापर्व का होगा समापन
करीब पांच बजे अर्घ्य अर्पित करने वालों की संख्या सबसे अधिक रही. घाटों पर व्रतियों ने कोशी आदि भरने की रश्म निभाते हुए छठ माई की पूजा शुरु कर दी थीं। जैसे ही भगवान भास्कर अस्त होने को दिखे अर्घ्य देने का सिलसिला शुरु हो गया। परिजनों व महल्ले वालों ने भी घाट पर आकर उन्हें अर्घ्य देने का काम किया. इसके लिए गंगा घाटों को भव्य तरीके से सजाया गया है. कहीं झिलमिल लाइट्स लगाए गए हैं तो कहीं घी के दीए घाट की रौनकता में चार चांद लगा रहे हैं. नदी और तालाबों पर होने वाली भीड़ से बचने के लिए कुछ लोगों ने अब अपने घरों में ही छठ पूजा करने लगे हैं. और अपने घर पर ही अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. छठ घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत लोग सभी सामग्री समेट कर लौटने लगे। इस दौरान सभी लोग कुछ न कुछ हाथ में लेकर जाते दिखे. मान्यता है कि छठ की सामग्री उठाने से साल पर स्वास्थ्य की कोई परेशानी नहीं होती है। बता दें, छठ व्रति खरना के बाद से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं. शाम चार बजे के बाद से ही घाटों पर छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देना शुरू कर दिया था. केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके, हे छठी मइया, हो दीनानाथ, कांच ही बांस के बहंगिया, दुखवा मिटाईं छठी मईया, नाथ, ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए, कबहुँ ना छूटी छठि मइया, हमहु अरगिया देब, हे छठी मइया आदि मधुर छठ गीतों के बीच भगवान सूर्य की आराधना की गयी।
गीतों के जरिए शारदा सिन्हा को दी गयी श्रद्धाजंलि
पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार...छठ का त्योहार हो और भोजपुरी लोक गायिका शारदा सिन्हा का ये छठ गीत न सुना जाए ये भला कैसे हो सकता है। यह अलग बात है कि वो आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन लोगों ने उनके गीतों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते दिखें। वैसे भी छठी मैया का ये गाना हर किसी के भी अंदर छठ मनाने का एक अलग ही उत्साह भर देता है। अनुराधा पौडवाल की आवाज में गाया गया ’कांच ही बांस के बहंगिया’ छठ गीत भी श्रद्धालु छठ पूजा के दौरान खूब सुनते हैं। काशी के शास्त्री घाट पर छठ समिति ने बिहार कोकिला एवं भोजपरी गायक शारदा सिन्हा को भावभीनी श्रद्धाजंलि अपिर्त की। इस अवसर पर भाजपा के सीनियर नेता अरविन्द सिंह, मनीश गुप्ता आदि मौजद रहे।मिलती है समृद्धि
सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है। प्रातः, मध्यान्ह और सायंकाल। प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है. मध्यान्ह की आराधना नाम-यश देती है. सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है. अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है, जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।
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