यह सच है कि ट्रंप की जीत भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में उत्प्रेरक का काम करेगी. लेकिन उससे भी बड़ा सच यह है कि आतंकपरस्तों की फैक्ट्री बना पाकिस्तान, कनाडा व बांग्लादेश जैसे देश के आतंकियों की रुह कापेंगी। जो चीन 5 साल तक भारत को आंख दिखाता रहा, वो अब सकपका रहा है। अब अगर चीन ने कुछ किया तो ट्रंप भारत का खुलकर मजबूती के साथ साथ दे सकते हैं. जो बाइडन के सह पर तख्तापलट करने वाली बांग्लादेश की हालत भागे बिल्ली जैसी होने वाली है, क्योंकि ट्रंप पहले ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा कर चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के रिश्ते अच्छे रहे हैं और अब उम्मीद की जा रही दोनों नेता साथ मिलकर बांग्लादेश की यूनुस सरकार की जवाबदेही तय कर सकते हैं
अमेरिका के दम पर ही बांग्लादेश भारत को पिछले कुछ दिनों से आंख दिखा रहा था लेकिन ट्रंप बांग्लादेश के होश ठिकाने लगाएंगे. वो पहले ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा कर चुके हैं. मतलब साफ है डॉनाल्ड ट्रंप के आने से कहीं खुशी कही गम का माहौल दुनिया में है. उनसे अमेरिका के दोस्त और दुश्मन दोनों हिले हुए हैं. हांलाकि कुछ दुश्मन खुश भी हैं जैसे रूस. क्योंकि ट्रंप ने जीत के बाद फिर दोहराया कि वो जंग बंद कर देंगे. ऐसे में रूस को लगता है कि ट्रंप यूक्रेन से युद्ध समाप्त करने को कहेंगे। फिरहाल, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत और व्हाइट हाउस में उनकी वापसी से भारत पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. इससे न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के मजबूत होने से व्यापार, निवेश और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सकती है, जिससे अंततः भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. चूंकि दोनों देश अपने मौजूदा संबंधों को और मजबूत कर रहे हैं, इसलिए इस घटनाक्रम को भारत के लिए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में और अधिक अनुकूल होने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है. भारत में नए निवेश के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए अधिक रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। नतीजें आते ही सेंसेक्स में 901.50 अंक (1.13 प्रतिशत) की वृद्धि हुई, जबकि निफ्टी में 273.05 अंक (1.13 प्रतिशत) की वृद्धि हुई. मतलब साफ है लंबी अवधि में, मजबूत संबंधों से भारतीय बाजार और निर्यात दोनों को लाभ होगा. या यूं कहे डोनाल्ड ट्रंप की जीत का भारत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. व्यापार नीतियों के संबंध में ट्रंप का दृष्टिकोण स्पष्ट है. ट्रंप ने चीन जैसे देशों पर उच्च टैरिफ लगाए हैं, जिससे भारत के लिए अमेरिका के साथ अपना व्यापार बढ़ाने के अवसर पैदा होते हैं.
इसके अलावा, ट्रंप द्वारा अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने पर ध्यान केंद्रित करने से, अमेरिका में वैध रूप से रहने वाले भारतीय पेशेवरों की आय में वृद्धि हो सकती है. भारत के लिए अमेरिका को अपना निर्यात बढ़ाने का मौका है और अगर अमेरिका को भारत के साथ व्यापार करने में फायदा होता है, तो वह देश में निवेश भी बढ़ा सकता है. हालांकि, भारत से बाहर चले गए विदेशी निवेशकों को स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने और नीतियों और शर्तों की स्पष्ट समझ होने के बाद वापस लौटने में लगभग 4-6 महीने लग सकते हैं. ट्रंप की वापसी से शेयर बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच मजबूत राजनीतिक संबंधों ने दोनों देशों के बीच ठोस व्यापार संबंध को बढ़ावा देने में मदद की है. ट्रंप की ’अमेरिका फर्स्ट’ नीति, जहां अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने पर केंद्रित है, वहीं इसने भारत को अपनी विदेश नीति में भी शामिल किया है, जो इस बात का संकेत है कि भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इससे भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. यह उनके पहले कार्यकाल के दृष्टिकोण की निरंतरता होगी, जिसमें क्वाड जैसी पहलों के माध्यम से अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत करना शामिल है. इससे सुरक्षा सहयोग बढ़ेगा, जिसका लाभ भारत को मिलेगा।
भारत और अमेरिका के बीच करीब 200 अरब डॉलर का कारोबार होता है.ऐसे में अगर ट्रंप ने अपने शासनकाल में भारतीय सामान पर कर बढ़ाया तो दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार में कमी आ सकती है. डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध और मजबूत हो सकते हैं.ट्रंप चीन विरोधी नेता हैं. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के मंच क्वाड को मजबूती करने में काफी रुचि दिखाई थी. ट्रंप के शासनकाल में भारत के साथ हथियारों के निर्यात, संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीकी हस्तांतरण की दिशा में तालमेल नजर आ सकता है. ट्रंप में अपने पिछले कार्यकाल में भारत के साथ बड़े रक्षा समझौते किए थे. डोनाल्ड ट्रंप का रवैया प्रवासियों को लेकर काफी सख्त रहा है. ऐसे में उनकी नीतियां प्रवासियों के लिए परेशानी पैदा करने वाली हो सकती हैं. ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजने का वादा किया है. वो आरोप लगाते रहे हैं कि अवैध प्रवासी अमेरिकियों के लिए रोजगार के अवसर कम कर रहे हैं. अमेरिकी में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं. अधिकांश भारतीय वहां एच-1बी वीजा पर काम करने जाते हैं. इस वीजा को लेकर ट्रंप का रवैया काफी सख्त रहा है.
अगर ट्रंप ने फिर सख्ती दिखाई तो इसका असर भारतीयों पर पड़ेगा. उनके लिए काम के अवसर कम होंगे. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में कश्मीर समस्या के समाधान के लिए मध्यस्थता की बात कही थी. उन्होंने दावा किया था कि पीएम मोदी भी ऐसा ही चाहते हैं. लेकिन उनके इस दावे को भारत ने नकार दिया था.दरअसल भारत इस समस्या के समाधान में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारता रहा है. वहीं पाकिस्तान ने ट्रंप के बयान का स्वागत किया था. अपने दूसरे राष्ट्रपति कार्यकाल में अगर ट्रंप फिर अपना पुराना रुख अपनाते हैं तो यह भारत के लिए असहज करने वाली स्थिति होगी. ट्रंप ने जम्मू कश्मीर में पुलवामा में हुए हमले की निंदा करते हुए भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया था. ट्रंप की जीवाश्म ईंधन नीतियों और चीनी की धीमी इकनॉमिक ग्रोथ के कारण ऊर्जा लागत कम हो सकती है। इससे एचपीसीएल, बीपीसीएल, आईओसी जैसी भारतीय तेल कंपनियों और आईजीएल और एमजीएल जैसी गैस वितरण कंपनियों के लिए फायदा हो सकता है। मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस सेक्टर में तेजी आ सकती है। अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने पर उनका ध्यान भारत डायनेमिक्स और एचएएल जैसी भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए बेहतर हो सकता है।
दुनिया के कई देशों में फैले तनाव को ट्रंप खत्म कर सकते हैं। ऐसे में सप्लाई चेन में सुधार होगा जिससे भारतीय व्यापार को मदद मिल सकती है। ट्रंप का जोर अमेरिका के औद्योगिक विकास पर होता है। ऐसे में दोनों देशों में काम करने वाली कंपनियों को लाभ हो सकता है। इनमें एबीबी, सीमेंस, कमिंस, हनीवेल, जीई टीएंडडी और हिताची एनर्जी शामिल हैं। ट्रंप के नेतृत्व में कारोबारी माहौल में सुधार हो सकता है। इससे संभावित रूप से कॉर्पोरेट टैक्स में कमी आ सकती है। वहीं व्यापार-अनुकूल नीतियों के माध्यम से भारतीय शेयर मार्केट में भी तेजी आ सकती है। भारत और डोनाल्ड ट्रम्प के रिश्ते काफी अच्छे हैं. ट्रंप और मोदी, दोनों एक दूसरे को गुड फ्रेंड बताते हैं. जब ट्रम्प अमेरिका के नए बॉस बन गए हैं तो भारत के साथ कारोबार पर कितना असर पड़ेगा ये सोचने वाली बात है, अगर नया अमेरिकी प्रशासन अमेरिका प्रथम एजेंडा को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भारतीय निर्यातकों को वाहन, कपड़ा और फार्मा जैसे सामान के लिए ऊंचे सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है. ट्रंप एच-1बी वीजा नियमों को भी सख्त कर सकते हैं, जिससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों की लागत और वृद्धि पर असर पड़ेगा.
भारत में 80 प्रतिशत से अधिक आईटी निर्यात आय अमेरिका से आती है, जिससे वीजा नीतियों में बदलाव के प्रति भारत संवेदनशील हो जाता है. अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. अमेरिका से भारत का वार्षिक कारोबार 190 अरब डॉलर से अधिक है. लेकिन ट्रंप चीन के बाद अब भारत और अन्य देशों पर भी शुल्क लगा सकते हैं. ट्रंप ने पहले भारत को बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता कहा था और अक्टूबर, 2020 में भारत को टैरिफ किंग करार दिया था. चीन के प्रति अमेरिका का सख्त रुख भारतीय निर्यातकों के लिए नये अवसर पैदा कर सकता है. दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 120 अरब डॉलर रहा, जबकि 2022-23 में यह 129.4 अरब डॉलर था. इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों पर इसका असर पड़ सकता है. पहले ट्रंप ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से बाहर निकल चुके हैं, आईपीईएफ (समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा) पर काले बादल छा सकते हैं. 14 देशों के इस ब्लॉक को अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों द्वारा 23 मई, 2022 को टोक्यो में शुरू किया गया था।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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