महबूब आलम ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 स्पष्ट रूप से पूर्वाग्रह से ग्रसित और संविधान द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को हासिल धार्मिक आजादी व विश्वास के अधिकार पर एक गंभीर हमला है. सच्चर समिति की 2006 की रिपोर्ट ने वक्फ को कल्याणकारी गतिविधियों में शामिल एक सामाजिक-धार्मिक संस्था के रूप में मान्यता दी थी. उसने बोर्ड को आवश्यक वित्तीय और कानूनी ताकत देने और उसके प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने की अनुशंसा की थी. 2013 में व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श करके वक्फ अधिनियम के प्रभावी संशोधनों को मजबूत बनाने की बात कही गई थी. इसके विपरीत, प्रस्तावित विधेयक हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा को थोपने का प्रयास है. यह वक्फ बोर्ड की भूमिका, उसके अधिकार और उसकी शक्तियों में बुनियादी रूप से बदलाव कर देगा. हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि संशोधन विधेयक 2024 को उसके वर्तमान स्वरूप में वापस लिया जाना चाहिए और व्यापक परामर्श के आधार पर सच्चर समिति की इच्छानुसार वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को मजबूत और बेहतर बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए.
पटना (रजनीश के झा)। भाकपा-माले सहित इंडिया गठबंधन द्वारा आज वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 पर दिए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव पर जदयू पूरी तरह बेनकाब हो गई है. ललन सिंह के मुस्लिम विरोधी बयानों से पहले से ही सवालों में घिरे जदयू नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया कि उन्होंने भाजपा के समक्ष पूरी तरह आत्मसर्मपण कर दिया है. उक्त बातें आज माले विधायक दल महबूब आलम ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष श्री नंदकिशोर यादव द्वारा कार्यस्थगन प्रस्ताव की अस्वीकृति के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा और आरएसएस के इशारे पर सदन चलाना चाहते हैं और संविधान द्वारा प्रदत्त मुस्लिम समुदाय को हासिल अधिकारों को पर हमले वाले संशोधन पर चर्चा तक नहीं कराना चाहते हैं.
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