- मन की शुद्धि भगवान का ध्यान करने से होती है : पंडित राघव मिश्रा
सीहोर। परमात्मा का ध्यान करने से मन की शुद्धि होती है। भगवान का ध्यान किसी भी समय में हो सकता है, परंतु भगवान की पूजा किसी भी समय में नहीं हो सकती है। भगवान का ध्यान करने से जीव में ईश्वर के सद्गुण आते हैं। भगवान निर्दोष होने के साथ ही सर्व सदगुण संपन्न है। जो भगवान का ध्यान स्मरण करता है उस जीव में भगवान की शक्ति आती है। भगवान का भजन करने के लिए सालों नहीं पूरे भाव से करने चाहिए। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय शिव महापुराण के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहे। बुधवार को शिव महापुराण के दौरान सती प्रसंग के अलावा भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह का वर्णन किया गया। धाम पर अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में इन दिनों शिव महापुराण और संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। शिव महापुराण कथा पंडित राघव मिश्रा के द्वारा और भागवत कथा पंडित शिवम मिश्रा के द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से की गयी प्रार्थना, कभी विफल नहीं होती। सब की पॉवर व्यर्थ हो जाती है। लेकिन प्रार्थना की पॉवर कभी व्यर्थ नहीं होती है। संसार का ध्यान छोड़ दो। सभी पाप संसार का ध्यान करने से होते हैं। ज्ञानीजन संसार में रहते हैं, लेकिन संसार का कभी ध्यान नहीं करते। ज्ञानी-संत हर समय में भगवान का ध्यान करते हैं। भगवान का ध्यान भले ही न करो, पर किसी मानव शरीर का ध्यान कभी नहीं करना चाहिए। शरीर को सुंदर समझना बड़ा अज्ञान है। भगवान का ध्यान करना चाहिए। पाप और पुण्य तत्काल फल नहीं देते हैं। कालांतर में फल देते हैं। पाप-पुण्य का फल भी तत्काल नहीं मिलता है। पाप और पुण्य कालांतर में फल देते है। भगवान की पूजा करें तो उस पूजा का प्रतिफल आज नहीं मिलेगा। यदि भगवान का कोई ध्यान करें तो उसका मन तुरंत शुद्ध हो जाता है।
सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी
धाम पर जारी संगीतमय शिव महापुराण के दौरान कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा के द्वारा सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी गई। तेरे डमरू की धुन सुनके मैं काशी नगरी आई हूं आदि भजनों पर यहां पर मौजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का मनमोह लिया।
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