- महाविद्यालय में रसायन विभागाध्यक्ष के सेवानिवृत्ति के मौके पर आयोजित हुआ सम्मान समारोह।
सम्मान समारोह के बतौर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के नामचीन सेवानिवृत्त आचार्य प्रो. लाल मोहन झा ने कहा कि कल तक जो आचार्य महाविद्यालय वाटिका को अपने गुणों व अध्ययन-अध्यापन के कार्यशैली से पल्लवित व सुंगधित कर रहे थे, वो सफल कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत्त हो गये। आज डॉ. लोक नाथ झा से बिछड़ने का गम महाविद्यालय परिवार के चेहरे पर साफ परिलक्षित हो रहा है। हमलोग भले अलग-अलग महाविद्यालयों में दशकों तक कार्य किया लेकिन समान विषय होने के कारण सदैव एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे। ये सिर्फ छात्र-छात्राओं के अध्ययन-अध्यापन के प्रति ही नहीं बल्कि शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी समस्याओं के प्रति भी सदैव आगे बढ़कर सक्रिय रहते थे, जिससे उनकी छवि महाविद्यालय वाटिका को सदैव पल्लवित व सुंगधित करती रही। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और उनसे आग्रह भी करते हैं कि वो आगे भी छात्र-छात्राओं का अपने ज्ञान-कौशल से मार्गदर्शन करते रहे। विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त आचार्य डॉ. ए. समद अंसारी ने कहा कि डॉ. झा सिर्फ छात्र-छात्राओं को पढ़ाते ही नहीं थे बल्कि उनके सर्वांगीण विकास के लिये सतत प्रयत्नशील रहते थे। हम आपके सफल कार्यकाल पूरा करने की बधाई देते हैं और परम पिता परमेश्वर से आपके स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की प्रार्थना निवेदित करते हैं। स्नातकोत्तर रसायनशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ• आनन्द मोहन झा ने कहा प्रो• लोकनाथ झा एक असाधारण शिक्षक, गुरु और हमारी प्रेरणा होने के कारण मैं उनका बहुत आभारी हूं। उनके समर्पण और जुनून ने अनगिनत जिंदगियों को आकार दिया है। उन्होंने हमें शिक्षाविदों से कहीं अधिक सिखाया है। डॉ• झा हमें मूल्य, करुणा और सीखने के प्रति प्रेम सिखाया है। आपकी सेवानिवृत्ति एक युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन आपकी विरासत भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
अपने सेवानिवृत्ति के वेला पर डॉ. लोक नाथ झा ने कहा कि विगत महीने 31 अक्टूबर 2024 को मैं सेवानिवृत्त हो गया, विभाग से सूचना मिली कि अवकाश बाद प्रथम कार्यदिवस को 11 नवंबर 2024 को मेरे सम्मान में कार्यक्रम रखा गया है। आज मैं इस कार्यक्रम में आकर भावुक हो गया हूँ। मैंने पूरी ईमानदारी से सदैव अपने कर्तव्य को निभाया। आज मेरी आँखें नम है। विशेष क्या कहूँ। बस इतना कहना चाहूंगा कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मेरी वाणी से किसी शिक्षक या कर्मी का भावना आहत हुआ हो तो वो आज भूला देंगे। आपलोगों का दिया प्यार व साथ ही मेरा सबसे बड़ा धन है जिसके लिये आजीवन हम आपके आभारी रहेंगे। इस मौके प्रो. लोकनाथ झा को मिथिला के पारंपरिक परिधान, पाग, चादर, अंग-वस्त्र व पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. कालिदास झा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन स्नातकोत्तर रसायनशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ. आनन्द मोहन झा ने किया। इस मौके पर विभागीय शिक्षक डॉ. संजय कु. झा व राज्य परामर्शी सदस्य उज्ज्वल कुमार सहित सभी विभागों के शिक्षक, कर्मी व सैकड़ों छात्र-छात्रा उपस्थित थे।
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