खंडवा वालो के लिए कुछ अलग करने की सोच दिया पिज्जा का आइडिया
घंटाघर के पास पिज्जा बनाने का काम करने वाले दीपक शर्मा ने बताया कि वह पिछले तीन सालों से इसी स्थान पर पिज्ज़ा बनाने का काम कर रहे हैं। वह पहले सिलाई का कार्य करते थे, दो-तीन साल से काफी स्ट्रगल किया और बहुत समय से कुछ नया करने का विचार मन में काफी समय से था। क्योंकि मुझे खाने पीने का शौक था और खंडवा में खाने पीने के शौकीनों के लिए कुछ नया करने की इच्छा थी। फिर मैंने श्री श्याम पिज़्ज़ा प्वाइंट की शुरुआत की और इस कार्य में बाबा खाटू श्याम और दादाजी महाराज के आशीर्वाद से छोटी सी कार्ट शुरू की। मैंने यह कार्य कहीं से सीखा नहीं बस एक जुनून था कुछ करना कुछ नया स्वाद कुछ अपनापन अपने खंडवा वाशियो को देना और इस सफलता में मेरे स्वाद के दीवानों का भी विशेष सहयोग रहा जो उन्होंने मेरी कार्ट ओर मेरे प्रति अपना प्यार ओर सहयोग किया। पिज़्जा का स्वाद लेने के लिए दूर-दूर से युवा व अन्य लोग दुकान पर आते हैं। दीपक शर्मा ने बताया कि इससे पहले वह नौकरी किया करते थे। फिर उन्होंने पिज़्ज़ा बनाने की रेसिपी सीखी और अपना खुद का कारोबार खंडवा में शुरू किया। उन्होंने बताया कि यहां पर कार्ट खेेलने के के बाद उन्हें काफी लाभ मिला है। जिसमें उनका छोटो बेटा आदर्श भी हाथ बटाता है।
15 तरह के पिज़्ज़ा बनाए जाते हैं
खंडवा के घंटाघर चौक पर पिज्ज़ा की कार्ट चलाने वाले दीपक शर्मा ने बताया कि उनकी दुकान पर 12 से 15 प्रकार के पिज़्ज़ा बनाए जाते हैं। जिनका दाम 60 रुपए से शुरू होता है और पिज्ज़ा के साइज और रेसिपी के आधार पर अलग-अलग दाम तय है जो की 250 रुपए तक है। उन्होंने बताया कि सभी पिज़्ज़ा की रेसिपी अलग-अलग तरह की होती है। दीपक ने बताया कि हमारी दुकान पर बनने वाले पिज़्ज़ा में प्रयुक्त सामान लोकल नहीं होता है। हम सभी मसाले, टमेटोज़ जितने भी पिज़्ज़ा में प्रयोग होने वाला समान है, वह ब्रांडेड कंपनी का ही प्रयोग में लाते हैं। जिसके कारण हमारे उत्पाद का टेस्ट अन्य संस्थानो पर मिलने वाले पिज़्ज़ा से अलग ही होता है।
ग्रामीण क्षेत्र से भी आते हैं ग्राहक
मित्र हेमंत मोराने ने बताया कि दीपक जी की दुकान पर बनने वाले पिज़्ज़ा उत्पाद का स्वाद लेने के लिए शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र से भी लोग आते हैं। उन्होंने बताया कि मथेला, हरसूद , छैगांव माखन, पंधाना, मूंदी, पुनासा सभी कस्बों से जुड़े लोग पिज़्ज़ा खाने आते हैं और परिवार के लिए पैक करा कर भी घर पर ले जाते हैं। दीपक ने बताया कि नौकरी छोड़ने के बाद यह कारोबार उन्हें काफी आमदनी दे रहा है। जिससे उनका स्वरोजगार तो खड़ा हो ही गया है, साथ ही परिवार की आय का एक स्थाई साधन भी बनकर खड़ा हो गया है।
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