लगा दो मुझ पर जितनी भी पाबंदियां,
नहीं रहूंगी मैं किसी पिंजरे में बंध कर,
मैं हूँ एक लड़की, मेरे भी हैं अरमान,
मैं भी उड़ना चाहूं खुले आसमान,
हर चीज़ में घुल जाना चाहती हूं,
हर मुसीबत को पार करना चाहती हूं,
क्यों रह जाती हूं मैं दुनिया में पीछे,
क्यों मैं ये समझ नहीं पाती हूं।।
कुमारी निशा
लमचूला, उत्तराखंड
चरखा फीचर्स
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