नारी हूँ मैं, जननी हूँ मैं,
अबला नहीं सबला हूँ मैं,
क्यों बनू मैं अब बेचारी?
अधिकार जानूंगी बारी बारी,
पढ़ लिखकर मैं बनूँगी महान,
तभी मिलेगा बराबर का सम्मान,
क्यों सदा पुरुष ही रहे उत्तम?
नारी तो है उससे भी सर्वोत्तम?
धरती से अंबर तक है नारी,
पहुँच रही है वह बारी बारी,
भारत देश तब बनेगा महान,
जब नारी शक्ति होगी इसकी शान,
नारी हूँ मैं, जननी हूँ मैं,
अबला नहीं सबला हूँ मैं॥
शगुन कुमारी
पटना, बिहार
चरखा फीचर्स
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