ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित कर चरखा ने मनाया अपना 30वां स्थापना दिवस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 दिसंबर 2024

ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित कर चरखा ने मनाया अपना 30वां स्थापना दिवस

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नई दिल्ली (रजनीश के झा)।  ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित कर चरखा ने अपना 30वां स्थापना दिवस मनाया. शनिवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में 'गूंज' के संस्थापक अंशु गुप्ता सहित बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई. इस अवसर पर चरखा संस्थापक संजॉय घोष सहित चरखा के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इसके पूर्व अध्यक्ष स्व. शंकर घोष, स्व. तिलक मुखर्जी, पूर्व सीईओ स्व. मारिओ नोरहोना और पूर्व सचिव स्व. अनिल सिंह को श्रद्धांजलि के साथ हुई। इस मौके पर चरखा अध्यक्ष उषा राय ने संस्था के 30 साल के सफर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चरखा टीम न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में लिखने वालों की क्षमता को पहचान कर उन्हें मीडिया की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है बल्कि ज़मीनी स्तर पर समुदाय में बदलाव लाने वाले ग्रासरूट्स लीडर्स को भी प्रोत्साहित कर संजॉय के विज़न को पूरा कर रही है.


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इस अवसर पर चरखा के तीन दशकों के सफर को दर्शाती पुस्तिका "बियॉन्ड हाइवेज: जर्नीज, रेफ्लेक्शंस, एंड पॉसिबिलिटी" का विमोचन किया गया. चरखा के इतिहास, चुनौतियों और आकांक्षाओं को दर्शाती इस किताब को संजॉय की प्रमुख सहयोगी रही दीप्ति प्रिया मेहरोत्रा, चरखा की पूर्व इंग्लिश एडिटर सुजाता राघवन, पूर्व सीईओ अंशु मेशक और वर्तमान सीईओ चेतना वर्मा ने लिखा है. इसके अतिरिक्त इस किताब में 30 अन्य लेखों का भी संग्रह है, जिन्हें सामाजिक कार्यकर्ताओं और ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले विभिन्न राज्यों के ग्रासरूट्स लीडर्स ने लिखा है. इन लेखों में ग्रामीण क्षेत्रों के ज़मीनी हालात और चरखा के काम को अलग-अलग नजरिए से प्रस्तुत किया गया है. इस किताब की रूपरेखा प्रीतिश बाली ने तैयार की है. कार्यक्रम में "जमीनी स्तर पर नेतृत्व और सामूहिकता का महत्व" विषय पर एक संवाद परिचर्चा भी आयोजित की गई जिसमें उत्तराखंड से चरखा की 19 वर्षीय युवा दिशा सखी दीपा लिंगड़िया, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सेजो सिंह और अंशु गुप्ता ने भाग लिया. इस अवसर पर अंशु गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन और दक्षता की कमी नहीं है. ज़रूरत है उनमें आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ाने की. उन्होंने कहा कि लोगों की गरिमा और अधिकार का सम्मान करते हुए संसाधनों का वितरण किया जाना चाहिए. अंशु गुप्ता ने कहा कि ग्रासरूट्स स्तर की आवाजों को ज़्यादा से ज़्यादा आगे लाने की ज़रूरत है और उन समुदायों की समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है. इस दिशा में चरखा का काम सराहनीय है.


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कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले 3 ग्रासरूट्स लीडर्स को 'संजॉय घोष ग्रासरूट्स लीडरशिप अवार्ड 2024' से सम्मानित किया गया. इनमें राजस्थान के लूणकरणसर में किशोरियों और बच्चों के साथ बाल विवाह, बाल श्रम, स्कूल ड्रॉप आउट और लिंग भेदभाव जैसे सामाजिक मुद्दों पर काम करने और समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए कई पहल करने वाली युवा सामाजिक कार्यकर्ता हीरा देवी, मुंबई के शिवाजी नगर गांव में वंचित समुदायों के बच्चों विशेषकर लड़कियों, में आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना विकसित करने के लिए फुटबॉल और अन्य सामुदायिक पहलों का संचालन करने वाली युवा फुटबॉल कोच शबनम शेख और अजमेर स्थित ख्वास गांव में किशोरियों को शिक्षा, कौशल विकास और समाज में बाल विवाह, महावारी और लिंग भेदभाव जैसे मुद्दों पर सक्रियता से काम करने वाली युवा ग्रासरूट्स लीडर रामघनी मेघवंशी शामिल हैं. याद रहे कि इसी वर्ष अक्टूबर में, चरखा ने संजॉय घोष ग्रासरूट्स लीडरशिप अवॉर्ड्स की घोषणा की थी, ताकि उन अनगिनत ग्रासरूट्स लीडर्स की कहानियों, काम और चुनौतियों को सामने लाया जा सके, जिन्हें अक्सर मंच नहीं मिलता है. ये अवॉर्ड्स उन लीडर्स को पहचानने का एक प्रयास है, जो अपने समुदायों में बिना रुके काम कर रहे हैं. इस अवॉर्ड के लिए चरखा को देश के 14 राज्यों से कुल 144 प्रेरणादायक कहानियां मिलीं, जो अधिकतर 18 से 35 साल के उम्र की महिलाओं और किशोरी लीडर्स की थी. इन विजेताओं का चुनाव एक स्वतंत्र जूरी पैनल द्वारा किया गया जिसमें आशुतोष तोसारिया, कशीना और दिती शामिल थे.


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इस अवसर पर पिछले कई सालों से उत्तराखंड के गरुड़ ब्लॉक में युवा किशोरियों के साथ जागरूकता और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर काम कर रही दिशा सखी हेमा रावल को पूर्व सीईओ अंशु मेशक ने चरखा प्रेसिडेंट अवार्ड से सम्मानित किया. इस दौरान चरखा द्वारा लद्दाख के युवाओं के साथ किये गए पपेट शो और अन्य गतिविधियों से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई. जिसमें देश के इस दूर दराज़ क्षेत्र के युवाओं ने स्थानीय भाषा में पपेट के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को दर्शाया था. इसके बाद राजेश निर्मल के निर्देशन में उत्तराखंड की दिशा सखियों की ओर से हिंदी की प्रसिद्ध कवियत्री कात्यानी द्वारा लिखी कविता 'हॉकी खेलती लड़कियां' पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया. जिसे उपस्थित अतिथियों द्वारा काफी सराहा गया. इस नाटक में गांव की उन लड़कियों के सपनों की उड़ान को दर्शाया गया है जो पुरुष प्रधान समाज द्वारा लगाए गए बाधाओं की परवाह किये बगैर हॉकी खेलने के अपने सपनों को पूरा करती हैं. कार्यक्रम के अंत में चरखा की प्रोग्राम मैनेजर उज़्मा शमीम ने सीईओ चेतना वर्मा सहित उन सभी को धन्यवाद दिया जिन्होंने चरखा को आगे बढ़ाने और इसके विकास में योगदान दिया है और निरंतर दे रहे हैं. कार्यक्रम का संचालन जैस्मिन ग्रोवर, रुचा देवरे और शम्स तमन्ना द्वारा किया गया. वहीं इसे सफल बनाने में आयुष्य सिंह, प्रशांतो, राहुल, निष्ठा, मानस और एंजेल की प्रमुख भूमिका रही.

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