सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर शिव महापुराण का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 दिसंबर 2024

सीहोर : कुबेरेश्वरधाम पर शिव महापुराण का आयोजन

  • भगवान की शरण में जाने से ही मनुष्य के जीवन का कल्याण होता है : पंडित राघव मिश्रा

Kubereshwar-dham-sehore
सीहोर। मनुष्य भगवान द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करे तो भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते हैं, अक्सर हम भगवान द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन करते हैं। जिसके कारण हमें दुखों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भगवान की शरण में जाने से ही मनुष्य के जीवन का कल्याण होता है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में शनिवार से आरंभ हुई संगीतमय शिव महापुराण के पहले दिन कथा व्यास राघव मिश्रा ने कहे। गत दिनों सीहोर से बाहर महाराष्ट्र में कथा से लौटे कथा व्यास राघव मिश्रा का विठलेश सेवा समिति के द्वारा भव्य स्वागत किया गया था, अपने पिता श्री अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्ग दर्शन में शनिवार से शिव महापुराण का आयोजन किया जा रहा है। यहां पर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को नियमित रूप से भोजन प्रसादी का वितरण निशुल्क रूप से किया जा रहा है।


कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं के मध्य पहुंचे पंडित राघव मिश्रा का जोरदार स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि चंचुला नाम की स्त्री को जब संत का संग मिला वह शिव धाम की अनुगामिनी बनी। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई है। भगवान शिव भी सत्संग का महत्व मां पार्वती को बताते हुए कहते हैं कि उसकी विद्या, धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है जिसे जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई। परंतु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं। सत्संग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात् मिलन की ओर इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्थ है, इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दे। शिव महापुराण मानव जाति को सुख-समृद्धि व आंनद देने वाली है। क्योंकि भगवान शिव कल्याण एवं सुख के मूल स्त्रोत हैं। भगवान भोले नाथ की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है, लेकिन भगवान शिव की महिमा सुनने व उनमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है, लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता हैं। शिव महापुराण एक विलक्षण व दिव्यता से परिपूर्ण ग्रंथ है। शिव महापुराण की कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आनंद देने वाली है। क्योंकि भगवान भूतों के अधीश्वर साक्षात परमात्मा हैं। जो समस्त जीवों को आत्म ज्ञान देकर ईश्वर से जुडऩे की कला सिखाते हैं।

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