सीहोर : आज मनाया जाएगा कथा के चौथे दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 14 दिसंबर 2024

सीहोर : आज मनाया जाएगा कथा के चौथे दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव

  • भगवान शिव-पार्वती श्रद्धा और विश्वास का केन्द्र : महंत उद्धवदास महाराज

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सीहोर। कलियुग में श्रीराम कथा का श्रवण सबसे बड़ा धर्म है। पृथ्वी पर जब धर्म की हानि होती है, तब भगवान प्रकट होते हैं। भगवान राम, कृष्ण की तरह अवतरित होकर धर्म की रक्षा करते हुए पापियों का नाश करते हैं। शिव पार्वती साक्षात शक्ति और शक्तिमान है। लीला मात्र के लिए ये दोनों अलग रूपों में नजर आते हैं, किंतु अर्ध नारीश्वर रूप में दोनों एक ही हैं। भगवान शिव-पार्वती का विवाह श्रद्धा और विश्वास का केन्द्र है। उक्त विचार शहर के सीवन नदी के घाट पर गंगेश्वर महादेव, शनि मंदिर परिसर में जारी संगीतमय नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन महंत उद्ववदास महाराज ने कहे। शनिवार को संगीतमय श्रीराम कथा में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह उत्सव आस्था के साथ मनाया गया। उन्होंने कहा कि पार्वती जी महादेव को पाने के लिए भूखे-प्यारे तप में जुट गई. पार्वती के प्रेम को परखने और उनकी तपस्या भंग करने के लिए शिव जी ने कई प्रयास किए लेकिन देवी का टस से मस नहीं हुई। पार्वती का समर्पण देखकर और संसार की भलाई के लिए शंकर भगवान देवी पार्वती से विवाह के लिए राजी हो गए। पार्वती जी की निष्ठा व कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने विवाह का वचन दिया। जीव जब सच्चे हृदय से प्रार्थना करते हैं, तो भगवान भी उसे सम्यक फल प्रदान करते हैं। भोगी की प्रारंभिक अवस्था सुखमय प्रतीत होती है, किंतु अंत अत्यंत दुखद होता है। इसके ठीक विपरीत योगी की साधना अवस्था कष्टप्रद होती है, किंतु अंत बड़ा सुखद होता है। इसलिए कहा जाता है, अंत भला तो सब भला। शिव-पार्वती विवाह में भूत-प्रेतों को भी शामिल किया गया है, जो शिव की समता का दर्शन कराता है।


महंत ने दिया जीवन में सफलता का सूत्र

महंत उद्धवदास ने कहा कि अहंकार रूपी शक्ति ही सफलता में बाधक है। जब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि मनुष्य अपने कार्यों में असफल क्यों होता है, तो भगवान शिव ने बताया कि आसक्ति ही सभी समस्याओं का मूल कारण है। आसक्ति और प्रेम ठहराव की ओर ले जाता है और सफलता में बाधा डालता है। जब आप दुनिया के सभी मोह और प्रलोभनों से मुक्त हो जाते हैं, तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने से रोक सके। अलग होने का एकमात्र तरीका है कि आप अपने मन को प्रशिक्षित करें और इसे इस मानव रूप की उपयोगिता को समझे। हमारे शरीर में गुण और अवगुण दोनों समान रूप से विराजमान हैं। लेकिन जब सत्संग की शरण में जाते हैं हमारे चित्र और मन से अवगुण समाप्त हो जाते हैं और गुण जागृत हो जाते हैं। जगत में रामकथा साक्षात परमात्मा स्वरुप है।


सफलता हर किसी के हिस्से नहीं आती

उन्होंने कहा कि दुनिया में शायद ही कोई होगा जो अपने जीवन में सफल नहीं होना चाहेगा। इस सफलता को हासिल करने के लिए हर कोई अपने तरफ से प्रयास भी करता है। हर किसी को लगता है कि उसकी पहचान बने और वह जो चाहता है, हासिल करे। मगर यह भी एक हकीकत है कि यह सफलता हर किसी के हिस्से नहीं आती। साथ ही यह भी सच है कि अधिकांश लोगों को मनचाही सफलता नहीं मिल पाती है। सफल होने की कोशिशों के तहत हम रणनीति तो बना लेते हैं, लेकिन साथ ही कुछ गलतियां कर जाते हैं, जिससे हम सफलता से दूर चले जाते हैं।


आज भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का प्रसंग

शहर के सीवन नदी के तट पर ऊंकार प्रसाद जायसवाल परिवार के तत्वाधान में समस्त सनातन प्रेमी भक्तजन के तत्वाधान में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का प्रसंग किया जाएगा। जायसवाल परिवार ने सभी श्रद्धालुओं से कथा का श्रवण करने की अपील की। 

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