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पंडित श्री तिवारी ने कहा कि प्रभू कभी किसी को मारते नहीं है भगवान तो सबको तारने का काम करते है, तभी उनको श्रीराम का कहते है, भगवान ने ताड़का को मारा नहीं तार दिया था, भगवान की बाल लीलाऐं सुनाते हुए कहा की ऋषि वशिष्ठ ने चारों भाईयों के नाम राम भरत लक्ष्मण शत्रुघन रखकर संस्कार किया। नामकरण करते समय ऋषि वशिष्ठ जी ने कहा था की जितना समृद्ध में जल होता है उतना हीं आनंद मेरे राम में है जो जितना राम का नाम लेगा वह उतना हीं शांति प्राप्त करेगा। तानव ग्रस्त व्यक्ति अगर राम का नाम लेगा तो वह तनाव डिपरेशन में नहीं जाएगा। राम नाम के जाप से ही विश्राम आराम मिल जाता है। भरत को देखर वशिष्ठ जी ने कहा था की भरत के नाम का जो जाप करेगा वह कभी भूखा नहीं रहेगा घर में धन की कोई कमी नहीं होगी। शत्रुघन के नाम पर वश्ष्ठि जी ने कहा की शत्रुघन के नाम का जाप करने वालों को शत्रुओं से रक्षा मिलेगी। शत्रुघन भीतर के दुश्मनों को मारते है यह शत्रुघन के नाम का प्रभाव है। लक्ष्मण नाम की महीमा बताते हुए वशिष्ठ जी कहते है की लक्ष्मण जी श्रीराम के प्रिय है और संपूर्ण पृथ्वी का भार उठाकर चलते है। श्रीराम कथा आयोजन में मनोज शर्मा,रमेश आहूजा,सुदीप सम्राट,शंकरलाल शर्मा,बृजमोहन सोनी,श्रवण वास्तवार,नरेन्द्र राजपूत,संतोष वर्मा,मणिकांत जोशी,अमन वर्मा,मनोहर सिसोदिया,राजेन्द्र नागर,सीमा परिहार,प्रणय शर्मा,, दुश्यंत दासवानी श्यामबाई विश्वकर्मा, अभिलाष विश्वकर्मा, अमित वर्मा, अनिल, अरविन्द, हर्ष शर्मा, ममता शर्मा, पूनम राजपूत,सार्थक निखिल वर्मा अंकिला गोयल, ओपी शाक्य, रेखा वर्मा, हार्दिक वर्मा के द्वारा निरंतर सेवा कार्य किया जा रहा है।
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