श्री हरि अवतार में अन्यतम कपिल मुनि के क्षेत्र कहा जाने वाले व मोक्षनगरी गंगा सागर वैसे हिंदुओं के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में एक है। कहते है कि पश्चिम बंगाल स्थित सागरद्वीप दुनिया भर में मात्र इकलौता जगह है जहां सागर यानी समुन्द्र और गंगा का मिलन होता है। एक डुबकी में मोक्ष की कामना लिए दुनिया भर से श्रद्धालु यहां मकर संक्रांति पर आते हैं। गंगा सागर मेला देश दुनिया में प्रसिद्ध है। बंगाल सरकार यहां एक करोड़ से भी अधिक लोगों के आने का दावा करती है। लेकिन इससे अलग अत्यंत कम लोगों को पता है कि मोक्षनगरी गंगा सागर में गंगा सागर मेला से पहले नाग मेला का आयोजन होता है और इसे मिनी गंगासागर मेला का आयोजन होता है। स्थानीय लोगों की माने तो सुंदरवन के 54 द्वीपों के जन मानस में गंगासागर का नाग मेला बसा है। इस साल भी मिनी गंगासागर मेला का उद्घाटन राज्य के सुंदरवन विकास मंत्री बंकिम चंद्र हाजरा ने विधिवत किया। इस मिनी गंगासागर मेला में राज्य के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं। यह मेला नाग मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है। गंगा सागर द्वीप व आसपास के अन्य द्वीप घोड़ामारा, मौसुनी, कलश सहित अन्य द्वीपों के लोग इस मेले को नाग देवी मां मनसा को समर्पित करते हैं। इस मेले में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मनसा देवी की पूजा नागराज बासुकी देव के साथ की जाती है। आमतौर पर उक्त मेला दिसंबर में होता है और एक सप्ताह तक चलता है। इस मेले लाखों श्रद्धालुओं का समागम होता है। इस वर्ष यह मेला 45वें वर्ष में प्रवेश कर गया। नाग यानी लघु गंगासागर मेले मेले का इतिहास बहुत पुराना है। इस मेले की शुरुआत 1387 बंगाब्द में हुई थी। इस मेले की शुरुआत के पीछे एक और कारण यह था कि उस समय सुंदरवन के घने जंगलों में सागर द्वीप के अधिकांश लोग सांप के काटने से मर जाते थे। इसलिए, नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए, मानसद्वीप रामकृष्ण मिशन के महाराजा पूज्यपाद स्वामी सिद्धिदानंद, स्थानीय चिकित्सक शुभेंदु रॉय और स्थानीय युवा अवंती कुमार मन्ना सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने इस पूजा की प्रथा शुरू की। बाद में, क्षेत्र के लोगों ने इस पूजा के आधार पर एक मेले का आयोजन शुरू किया। नाग देवता की पूजा की शुरुआत कटक, ओडिशा से पूजा के 'ध्यान' (नियम) के साथ हुई। स्थानीय लोगों का मानना है कि तब से समुद्र में सांपों का प्रकोप कम हो गया है। धीरे-धीरे लोगों के चेहरों पर वह विश्वास समंदर पार भी फैल गया है। इसलिए हर साल लाखों लोग मेला देखने के लिए गंगासागर में मानसद्वीप रामकृष्ण मिशन के पास नाग सरोवर मैदान में इकट्ठा होते हैं। बता दे कि, सार्वभौम श्री श्री नागराज वासुकिदेव पूजा मेले की रौनक चंदन नगर की प्रकाश सज्जा से निखर गई है। देश और विदेश से लोगों का आगमन भी हो गया है और व्यापक चहल पहल देखी जा रही है। वैसे देखा जाए तो गंगा सागर मेले की तरह उक्त नाग मेला खासतौर से सुंदरबन के लगभग 54 द्वीपों पर रहने लोगों के लिए खास होता है। यहां की आबादी का उल्लेखनीय हिस्सा तो देश दुनिया में अभाव के कारण नहीं घुम पाती है लेकिन नाग व गंगा सागर मेले के आयोजन में जरुर आना चाहती है।
जगदीश यादव
( लेखक वरीय पत्रकार है)
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