अजमेर की सांझी विरासत पर संगोष्ठी आयोजित, सौहार्द पर नहीं आने देंगे आंच - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 11 दिसंबर 2024

अजमेर की सांझी विरासत पर संगोष्ठी आयोजित, सौहार्द पर नहीं आने देंगे आंच

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अजमेर,11 दिसंबर (रजनीश के झा)। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर  समर्थदान पत्रकार भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ”अजमेर की सांझी विरासत : हमारी जिम्मेदारी" विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में  बड़ी संख्या में मौजूद बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओ  ने  अजमेर के सांप्रदायिक सद्भाव  पर आने वाले हर खतरे का सामना करने और सौहार्द पर आंच नहीं आने देने का संकल्प लिया।


संगोष्ठी में प्रसिद्ध विधिवेत्ता सत्यकिशोर सक्सेना ने कहा कि दरगाह को लेकर बाहरी व्यक्ति द्वारा  किए गए दावे से अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने इस दावे को दीवानी अदालत द्वारा स्वीकार किए जाने  के अधिकार  पर संदेह व्यक्त किया और सुझाव दिया कि देश भर में किए जा रहे इस तरह के षड्यंत्रपूर्ण दावों को सुप्रीम कोर्ट  को  अपने पास मंगा लेना चाहिए। सक्सेना ने पूजा स्थल अधिनियम,1991 के होते हुए इन वादों के औचित्य हीन बतलाया। वरिष्ठ पत्रकार  डॉ रमेश अग्रवाल ने अजमेर  की संस्कृति को समावेशी बतलाते हुए कहा कि हमारी  सांझी विरासत सदियों के आपसी विश्वास, सहयोग और सद्भाव से विकसित हुई है। यह हर नगरवासी का दायित्व है कि वह शहर के सौहार्द को बनाए रखने के लिए मुखर हो। कवि रासबिहारी गौड़ ने कहा कि  देश के वातावरण में नफरत घोलने के सभी प्रयासों की निंदा की और कहा कि  छोटे छोटे  नागरिक समूहों से  संवाद  किया जाना चाहिए। सौहार्द के लिए हर आम नागरिक को आगे आना चाहिए।


महेंद्रसिंह रलावता ने  कहा कि दरगाह हर धर्म के लोगों की आस्था का स्थल है। इसके निर्माण और विकास में कोई एक व्यक्ति या संस्था नहीं सदियों से लाखों लोगों का योगदान रहा है। उन्होंने  मेवाड़ के महाराणा जगतसिंह और जयपुर के राजा जयसिंह द्वारा दरगाह में करवाए  गए  निर्माण का उल्लेख किया। वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी ने कहा कि दरगाह और पुष्कर अजमेर की अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। दरगाह  में किसी भी कारण से तनाव उत्पन्न होगा  तो न केवल आम व्यक्ति अपितु बड़े व्यवसायियों पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा।शांतिप्रिय लोगों के शहर को नफरत की आग से बचाया जाना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा पंचोली ने  अजमेर के सौहार्द के लिए व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाने का आग्रह किया। डॉ श्रीगोपाल बाहेती ने कहा कि अजमेर में इस्लाम,जैन,ईसाई ,पारसी सभी धर्म पल्लवित हुए हैं।यह हमारी खूबी है और इसे बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। 


संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पी यू सी एल के राज्य उपाध्यक्ष डी एल त्रिपाठी  ने कहा कि देश में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने के प्रयासों की निंदा की। उन्होंने कहा कि अजमेर  सौहार्दपूर्ण शहर का जीता जागता उदाहरण है। आज के समय में अजमेर के लोग  पूरे देश को भाई चारे की नसीहत दे सकते हैं।  संगोष्ठी का संचालन करते हुए डॉ अनंत भटनागर ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के महत्व की जानकारी दी तथा इस परिप्रेक्ष्य में  संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डाला।संगोष्ठी में  शकील अहमद,प्रो अजहर काजमी,सिस्टर कैरोल गीता, सुरेश सिंधी,प्रकाश जैन, डॉ सुरेश अगवाल ,वर्षा शर्मा,नजीर कादरी,गोपाल माथुर,काजी मुनव्वर अली इस्तखार सिद्दीकी अकबर हुसैन मोहम्मद आजाद अब्दुल नईम ,रईस कुरैशी,श्वेता आनंद,करुणा फिलिप्स ,राधावल्लभ शर्मा ,प्रो सुशील  बैरवा ,शिवशंकर सिन्हा,ध्वनि मिश्रा,धर्मेंद्र लालवानी  आदि अनेक गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।

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