- कुबेरेश्वरधाम पर संगीतमय शिव महापुराण-डमरू वालें आजा, तेरी याद सताए, मेरा ये भरोसा, कहीं टूट ना जाए
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि सफलता अर्जित करने के लिए इंसान को समता भाव रखना चाहिए, व्यक्ति को अपने आप को कभी भी ना श्रेष्ठ समझना चाहिए ना उसे खुद को किसी की तुलना में कम आकना चाहिए। दोनों ही स्थिति में इंसान का पतन होता है और वो सफलता की सीढ़ी से नीचे गिर जाता है। शिव पुराण की कथा आह्वान करते अपने जीवन को सुखमय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता सती भगवान शिव के मना करने पर भी प्रजापति दक्ष के यज्ञ में पहुंची। बिना बुलाए अपने पिता के घर गईं। अपमान का सामना न करते हुए अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। शिव पुराण की कथा हमें उपदेश देती है कि जीवन साथी व अपने गुरु पर विश्वास व श्रद्धा होनी जरूरी है। बिन बुलाए मेहमान व बिना परिवार की आज्ञा से कहीं पर भी जाना शुभ नहीं होता। शिव पुराण की कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि हमें भगवान शिव की भक्ति उनकी गाथाओं का श्रवण करना चाहिए, ताकि हमारा मानस जन्म सुखमय बन सके।
सत्य है कि संसार मे कर्म ही सब कुछ है, कर्म में ही आपका जीवन
कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि सत्य है कि संसार मे कर्म ही सब कुछ है, कर्म में ही आपका जीवन है। कर्म के कुछ सिद्धांत हैं जिनका पालन करने से आपके जीवन को दिशा मिलती है। हर सभ्यता और समाज मे समय के अनुसार कर्म के छोटे-बड़े और अच्छे-बुरे की परिभाषा तय की जाती है। आपकी सोच आपके कर्म की पहली सीढ़ी होती है। उन्होंने कहा कि विश्वरुप प्रजापति की रिद्धि और सिद्धि दो दिव्य रूप वाली सर्वांग सुंदरी दो कन्याएं थीं। गिरजा और महेश्वर ने आनंद पूर्वक उन दोनों के साथ गणेश महोत्सव में विवाह कराया। सभी देवता प्रसन्न होकर विवाह में आए। कुछ समय निकलने के बाद में शुम और लाभ नामक दो पुत्र हुए। जिन्हें लोक कल्याण के लिए मंगल कार्य किए जाते हैं। भगवान गणेश का परिवार, गणेश जी रिद्धि, सिद्धि, शुभ और लाभ को साथ में लेकर आते हैं।
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