- भगवान सहारा बन जाओ, श्रीराम बन जाओ भजनों उमड़ा आस्था का सैलाब
संत गोविंद जाने ने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से श्रेष्ठ जीवन के सूत्र बताए, उन्होंने कहा महापुरुषों को अपना मार्गदर्शक बनाएं, क्रोध से बचें, क्षमाशील बनें। क्रोध में क्रोधी व्यक्ति स्वयं को नष्ट कर लेता है, जबकि क्षमाशील व्यक्ति अपने भाग्य का विकास करता है। गुरुवार को वीर दिवस के अवसर पर संत गोविन्द जाने ने कहा कि वो दिन, जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा। जब उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया गया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। बच्चों ने कहा कि हम तो फिर मिलेंगे, लेकिन धर्म छोड़ने के बाद कभी नहीं मिलेगा, अपने धर्म को कभी नहीं छोड़ना। यह भारत की भूमि है जिन्होंने सिर को कटाने में देर नहीं की, लेकिन अपने सनातन धर्म को नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा-अखंड भारत भूमि पर पूर्व में ऐसे-ऐसे भक्त हुए हैं, जिन्होंने विष पीकर भी भगवान के दर्शन कर लिए थे लेकिन, कलयुग में हम दूध पीकर भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाते हैं। हमें आवश्यकता है कि, भगवान के प्रति प्रबल आस्था रखें, जिससे हमें भी हरिदर्शन हो सकें। संत जाने ने कहा कि समाज के युवाओं को संदेश देते कहा कि, अगर वह विशिष्ट मनुष्य बनना चाहते है, तो जीवन में अच्छे चरित्र का निर्माण करें। श्रीराम, श्री कृष्ण, हनुमानजी, चंद्रशेखर आजाद, शहीद भगतसिंह, राजगुरु जैसे महापुरुषों को अपना मार्गदर्शक बनाएं।
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