- अब संस्थान में शोध लैब से न सिर्फ इलाज बल्कि मरीजों को भी मिलेगी सुविधा
अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि टाटा स्मारक केंद्र के तीन मुख्य उद्देश्य, सेवा, शिक्षा और शोध हैं। एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. में इन तीनों उद्देश्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। इस लैब के शुरुआत से अब हमारे संस्थागत शोध को न केवल और गति मिलेगी, बल्कि इससे नए दवाइयों एवं तकनीक के क्षेत्र में हो रहे शोध को भी बढ़ावा मिलेगा। तकरीबन 3 करोड़ रुपये की लागत से इस लैब को तैयार किया गया है, जिसमें परमाणु ऊर्जा विभाग से मिली राशि, अस्पताल के फंड के साथ ही आदित्य वीजन से मिले सी.एस.आर. फंड का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस लैब से कैंसर मरीज के इलाज की तकनीक जानने में मदद मिलेगी। साथ ही नई दवाओं व तकनीक के क्षेत्र में शोध भी हो सकेंगे। उनका कहना है कि किसी भी बीमारी के इलाज में दवा के साथ ही शोध की अहम भूमिका होती है। शोध के जरिये ही बीमारी के प्रभावी प्रबंधन के बारे में पता चलता है। इसे ध्यान में रखते हुए आधुनिक लैब की शुरुआत की गई है। इसमें बायोरिपोजिटरी एंड टिश्यू बैंक, सेल कल्चर फैसिलिटी, जीन एडिटिंग आदि की सुविधा उपलब्ध है। यहां सैंपल को -196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सुरक्षित रखा जा सकेगा। अस्पताल के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. रोहित कुमार ने बताया कि यह लैब कैंसर बायोलॉजी, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी और सेल्यूलर रिसर्च के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। ट्रांसलेशनल रिसर्च में भी इसकी अहम भूमिका है। कैंसर के क्षेत्र में आधुनिक शोध की दिशा में यह लैब अस्पताल के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
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