बिहार के 18 जिलों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर पर है। बिहार के बक्सर, भोजपुर, भागलपुर, सारण, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर जैसे जिले गंगा नदी के किनारे स्थित हैं और आर्सेनिक से प्रभावित है। आंकड़ों की माने तो वर्ष 1978 में पहली बार पश्चिम बंगाल में भूजल में आर्सेनिक की सूचना मिली थी। यह समस्या 2024 में बंगाल के 14 जिलों के 148 ब्लॉक में जिलों में है। कहा जाता है कि शुरुआत में भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी पश्चिम बंगाल तक ही सीमित थी, लेकिन बाद में यह भारत के अन्य हिस्सों में भी फैल गई। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थिति सबसे खराब है, जहां 26 में से 25 ब्लॉक आर्सेनिक से दूषित हैं। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि वर्ष 1937 में आंध्र प्रदेश में पहली बार आर्सेनिक की सूचना मिली थी। भारत में कम से कम 22 राज्य फ्लोराइड-संदूषित हैं। बात पाकिस्तान की हो तो यहां में 60 मिलियन लोग घातक रसायन आर्सेनिक के खतरे में हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि सिंधु घाटी में रहने वाले 50-60 मिलियन लोग, ऐसा पानी पी रहे हैं जो संभवतः उनकी सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षित स्तर से अधिक है। जबिक बांग्लादेश में हर साल हजारों लोग आर्सेनिक विषाक्तता से मर जाते हैं। नेपाल में आर्सेनिक के खतरे हैं और नेपाल के निचले इलाकों में आर्सेनिक की समस्या है। नेपाल की कुल जनसंख्या के लगभग 47 प्रतिशत लोग तराई क्षेत्र में रहते हैं और उनमें से 90 प्रतिशत लोग पीने के पानी के मुख्य स्रोत के रूप में भूजल पर निर्भर हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र के पीने के पानी में आर्सेनिक संदूषण का खतरा है। एक आंकड़े को माने तो भारत में पिछले 34 वर्षों में दस लाख से अधिक लोगों की मौत आर्सेनिक वाला पानी पीने से हुई है। भारत में ही 5 करोड़ लोग आर्सेनिक संदूषण का खतरा का सामना कर रहें है। बहरहाल डॉक्टरों की माने तो आर्सेनिक रोग के लक्षण त्वचा पर काले धब्बों के बीच बारिश की बूंदों की तरह दिखने वाले सफेद धब्बे, त्वचा का काला पड़ना, हाथों और पैरों की त्वचा का मोटा होना और त्वचा का खुरदरा हो सकता है। इसके अलावा, एक अध्ययन में पाया गया कि, आर्सेनिक रोग प्रभावित 16 प्रतिशत मरीज आर्सेनिकोसिस के कारण विभिन्न प्रकार के त्वचा कैंसर या कैंसर-पूर्व लक्षणों से पीड़ित थे।
जगदीश यादव
(लेखक वरीय पत्रकार है)
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