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सोमवार, 23 दिसंबर 2024

आलेख : आर्सेनिक के जहर से उबर नहीं सके भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान व नेपाल

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आज जब देश दुनिया के देश परमाणु शक्ति से लैस होकर अपने आप को पावर फुल दिखाने में लगे हैं। वहीं भारत,बांग्लादेश,पाकिस्तान सहित नेपाल में आर्सेनिक की समस्या चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है। अगर बात भारत की करे तो अधिकारिक तौर पर केन्द्र सरकार ने मान लिया है कि, देश में सबसे ज्यादा आर्सेनिक की समस्या पश्चिम बंगाल और बिहार में है। वहीं शोध से पता चला है कि बांग्लादेश के लगभग सभी 64 जिलों के भूजल में आर्सेनिक का स्तर उच्च है। आंकड़े कहते है कि, बांग्लादेश में करीब 3.5 करोड़ से 7 करोड़ लोगों को क्रोनिक आर्सेनिकोसिस का खतरा है। जहां उक्त देश की कुल आबादी 17.3  करोड़ है। बांग्लादेश में लाखों आर्सेनिक प्रभावित मरीज़ हैं। जिसकी अंतिम स्टेज कैंसर है। दुनिया भर में लगभग 140 मिलियन लोग आर्सेनिक-दूषित पानी पी रहे हैं। इनमें बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अर्जेंटीना, चिली, मैक्सिको, वियतनाम, कंबोडिया और लाओस को अधिक खतरा है। भारत में 2016 में जारी केंद्र सरकार की सूचना से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में 9.6 मिलियन लोग, असम में 1.6 मिलियन, बिहार में 1.2 मिलियन, उत्तर प्रदेश में 5 लाख और झारखंड में 13 हजार लोग भूजल के आर्सेनिक संदूषण से तत्काल खतरे का सामना के लिए मजबूर थे। 


बिहार के 18 जिलों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर पर है। बिहार के बक्सर, भोजपुर, भागलपुर, सारण, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर जैसे जिले गंगा नदी के किनारे स्थित हैं और आर्सेनिक से प्रभावित है। आंकड़ों की माने तो वर्ष 1978 में पहली बार पश्चिम बंगाल में भूजल में आर्सेनिक की सूचना मिली थी। यह समस्या  2024 में बंगाल के 14 जिलों के 148 ब्लॉक में जिलों में है। कहा जाता है कि शुरुआत में भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी पश्चिम बंगाल तक ही सीमित थी, लेकिन बाद में यह भारत के अन्य हिस्सों में भी फैल गई। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थिति सबसे खराब है, जहां 26 में से 25 ब्लॉक आर्सेनिक से दूषित हैं।  लेकिन एक तथ्य यह भी है कि वर्ष 1937 में आंध्र प्रदेश में पहली बार आर्सेनिक की सूचना मिली थी। भारत में कम से कम 22 राज्य फ्लोराइड-संदूषित हैं। बात पाकिस्तान की हो तो यहां में 60 मिलियन लोग घातक रसायन आर्सेनिक के खतरे में हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि सिंधु घाटी में रहने वाले 50-60 मिलियन लोग, ऐसा पानी पी रहे हैं जो संभवतः उनकी सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षित स्तर से अधिक है। जबिक बांग्लादेश में हर साल हजारों लोग आर्सेनिक विषाक्तता से मर जाते हैं। नेपाल में आर्सेनिक के खतरे हैं और नेपाल के निचले इलाकों में आर्सेनिक की समस्या है। नेपाल की कुल जनसंख्या के लगभग 47 प्रतिशत लोग तराई क्षेत्र में रहते हैं और उनमें से 90 प्रतिशत लोग पीने के पानी के मुख्य स्रोत के रूप में भूजल पर निर्भर हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र के पीने के पानी में आर्सेनिक संदूषण का खतरा है। एक आंकड़े को माने तो भारत में पिछले 34 वर्षों में दस लाख से अधिक लोगों की मौत आर्सेनिक वाला पानी पीने से हुई है। भारत में ही 5 करोड़ लोग आर्सेनिक संदूषण का खतरा का सामना कर रहें है। बहरहाल डॉक्टरों की माने तो आर्सेनिक रोग के लक्षण त्वचा पर काले धब्बों के बीच बारिश की बूंदों की तरह दिखने वाले सफेद धब्बे, त्वचा का काला पड़ना, हाथों और पैरों की त्वचा का मोटा होना और त्वचा का खुरदरा हो सकता है। इसके अलावा, एक अध्ययन में पाया गया कि, आर्सेनिक रोग प्रभावित 16 प्रतिशत मरीज आर्सेनिकोसिस के कारण विभिन्न प्रकार के त्वचा कैंसर या कैंसर-पूर्व लक्षणों से पीड़ित थे। 





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जगदीश यादव

(लेखक वरीय पत्रकार है)

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