सीहोर : सीता ने दिया था हनुमान को अजर अमर होने का आशिर्वाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

सीहोर : सीता ने दिया था हनुमान को अजर अमर होने का आशिर्वाद

  • रामकथा सुनने सिंधी कॉलोनी पहुुंच गया हनुमान रूप में वानरों का दल, रामकथा श्रवण करने उमड़ पड़ा मैदान में श्रद्धालुओं का सैलाब, रामकथा के समापन पर निकाली गई शहर में भव्य शौभा यात्रा

Ramayan-katha-sehore
सीहोर। सिंधी कॉलोनी मैदान पर आयोजित श्रीराम कथा के समापन दिवस शुक्रवार को कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। रामकथा सुनने कथा स्थल के पास हनुमान रूप में वानरों का दल भी पहुुंच गया। श्रीराम कथा वाचक उज्जैन नगरी से सिद्धपुर नगरी सीहेार पहुंचे ज्योतिषाचार्य पंडित अजय शंकर तिवारी ने कहा की माता सीता ने रावण की अशोक बाटिका में रामजी की मुद्रीका लेकर पहुंचे हनुमानजी को अजर अमर होने का आशिर्वाद दिया था यही कारण है हनुमानजी के अंत की कोई कथा नहीं है जहां भी रामकथा होती है हनुमानजी किसी भी रूप में कथा सुनने पहुंचते है। उन्होने कहा की अंहकार बड़ा शत्रु होता है रामचंद्रजी ने बाण चलाकर समुद्र अंहकार मिटा दिया था। श्रीराम कथा में पहुंचकर वरिष्ठ समाजसेवी अखिलेश राय और समिति अध्यक्ष मनोज शर्मा ने विधिवत श्रद्धालुओं के साथ व्यास गादी, रामचरित्रमानस की पूजा अर्चना कर सभी के कल्याण की प्रार्थना रामजी से की। रामकथा के समापन पर शहर में भव्य शौभा यात्रा निकाली गई। पंडित श्री तिवारी ने कहा की पृथ्वी पर कोई एैसा कोई पैदा नही हुआ जो जामवंद से लड़ सके, विभीषण ने रावण को समझाया सीताजी को सम्मान श्रीराम जी को सौप दो लेकिन रावण नही माना। असुरों की दुर्गति प्रारंभ हो गई। विनती करने के उपरांत भी हनुमान जी को समुद्र ने रास्ता नहीं दिया तब श्रीराम ने समुद्र से अर्चना की किंतु समुद्र नहीं माना तब रामजी ने समुद्र को चैतावनी दी और समुद्र पर बाणतान दिया। भय बिना प्रीत नहीं होती है भय दिखाना आवश्यक है जिस से समुद्र का अंहकार समाप्त हो गया। सुंदर कांड का पाठ हमेशा मंगल करता है अमंगल नहीं होता है।


लंका में हनुमान विभीषण मिलन हुआ,विभीषण ने बताया की लंका में सीता मईया कहा है, विभीषण ने हनुमान जी को रास्ता बताया। विभीषण ने कहा सीता मईया अशोक बाटिका में है। हनुमान जी ने पहली बार माता सीता के दर्शन किए। वृक्ष पर बैठकर विचार करते है की मईया के सामने कैसे जाए। हनुमान जी ने सीता के समक्ष शत्रु से छिपकर जाने का विचार बनाया। अशोक बाटिका में राक्षसी सेना थी। रावण उसी समय अशोक बाटिका में आया और सीता माता को समझाने लगा की तुम लंका की रानी बन जाओ किंतु सीता माता रावण की तरफ देखती तक नहीं है। माता सीता तिनके के सहारे रावण से बात कर रही है। माता सीता तिनके को अपना भाई समझती है और तिनके का सहारा लेती है। समुद्र पर रामजी ने सेतू बनाया और लंका पहुंच गए। रामजी के मन में आया की रावण से युद्ध क्यों किया जाए संधी भी हो सकती है क्यों ना रावण से बात की जाए और रामदूत के रूप में अगंद को लंका भेजते है। अगंद ने लंका जाकर रावण से वार्तालाव किया। अगंद से रावण ने कहा की हम युद्ध ही करेंगे। रावण ने त्रिजटा सहित राक्षसियों को सीता को डराने का आदेश दिया। सीता ने रावण से कहा की रावण तुम निर्लझ हो तब रावण सीताजी को मारने खड़ा हो गया। लेकिन मंदोदरी ने रोक लिया उन्होने कहा की स्त्री को बालक ब्राहमण को मारना नहीं चाहिए। जिस के बाद रामजी ने लंका पर चड़ाई कर दी। सीता मईया ने हनुमान जी को दुनिया में अजर अमर का आशिर्वाद दिया। 

कोई टिप्पणी नहीं: