सीहोर : आस्था और उत्साह के साथ श्रीराम कथा में राम जन्मोत्सव मनाया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 दिसंबर 2024

सीहोर : आस्था और उत्साह के साथ श्रीराम कथा में राम जन्मोत्सव मनाया

  • आज किया जाएगा श्रीराम कथा में बाल लीलाओं का वर्णन

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सीहोर। शहर के सीवन नदी के घाट पर गंगेश्वर महादेव, शनि मंदिर परिसर में जारी संगीतमय नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन महंत उद्ववदास महाराज ने राम जन्म प्रसंग की ऐसी व्याख्या की कि श्रोता भावविभोर हो उठे। तीन कल्प में तीन विष्णु का अवतार हुआ है और चौथे कल्प में साक्षात भगवान श्रीराम माता कौशल्या के गर्भ से अवतरित हुए है। इस मौके पर रविवार को भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की सुंदर झांकी सजाई गई और आस्था और उत्साह के साथ भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया गया। उन्होंने कहा कि एक बार माता सती भगवान शंकर बिन बताए ही माता सीता का रूप धारण कर भगवान राम की परीक्षा लेने चली गई। लेकिन भगवान श्रीराम ने उन्हें पहचान कर पूछ लिया हे माता आप अकेले कहां घूम रही है। लेकिन भगवान शंकर ने ध्यान लगाकर सती की ओर से भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने की बातें जान ली। जिसके बाद भगवान शंकर इस सोच में पड़ गए कि सती माता सीता का रूप धारण कर भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने चली गई। माता सती के पिता राजा दक्ष के यहां यज्ञ हो रहा था। जिसमें शामिल होने के लिए माता सती ने भगवान से अपनी इच्छा जाहिर की थी। जिस पर भगवान शंकर ने माता सती से कहा कि तुम्हारे पिता ने यज्ञ में आने के लिए हम लोगों को आमंत्रित नहीं किया है। हालांकि माता-पिता, गुरु व मित्र के घर जाने के लिए आमंत्रण की जरूरत नहीं होती है। जहां मान नहीं हो वहां बिन बुलाए जाना भी नहीं चाहिए।


जो निर्गुण ब्रह्म है वही सगुण होते हैं, निर्गुण और सगुण में कोई भेद नहीं

महंत उद्ववदास महाराज ने कहा कि जिन्हें कुछ भी नहीं आता वही कहते हैं कि ब्रह्म राम और दशरथ के बेटे राम अलग-अलग हैं। जो दशरथ नंदन है वही व्यापक घट-घट वासी राम है, जो निर्गुण ब्रह्म है वही सगुण होते हैं, निर्गुण और सगुण में कोई भेद नहीं है निराकार और साकार में कोई अंतर नहीं है। निराकार ही साकार और निर्गुण ही सगुण बनता है। जिससे आकार निकलता हो उसे ही निराकार कहते हैं जब निराकार परमात्मा राम, कृष्ण, वामन भगवान आदि रूप में निराकार से कोई साकार रूप धारण कर प्रकट होता है, वही साकार है। पानी की द्रवीभूत अवस्था जल है और घनीभूत अवस्था बर्फ है। जल को जिस आकार के पात्र में रख दें वह घनीभूत होकर वही आकार धारण करता है इसके लिए उसमें अलग से किसी अन्य तत्व को मिलाने की आवश्यकता नहीं होती।


महंत उद्धवदास महाराज ने सगुण और निर्गुण के अलावा अन्य विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि धर्म की स्थापना ही भगवान के अवतार के मूल कारण है। भगवान के दो द्वारपाल हैं जय और विजय, यदि हमें ईश्वर तक पहुँचना है तो अपने इंद्रिय पर जय और मन पर विजय करना होगा जय और विजय तीनों जन्म में राजा बने। एक बात साफ है कि आप एक बार भगवान के हो गए तो यदि आप का पतन भी हो जाए तो भी आप ऊंचाई पर ही रहेंगे। व्यक्ति समाज में रावण कैसे बनता है। समाज में जब उसे उच्च पद प्राप्त हो जाता है तो उसका अभिमान जागृत हो जाता है अभिमान ही मनुष्य को रावण बना देता है जय और विजय भगवान के द्वारपाल के पद की प्राप्ति के पश्चात इतने मदमस्त हो गए कि इन्होंने सप्त ऋषियों को भगवान से मिलने से रोका और श्राप से राक्षस हुए। भगवान तक कोई वस्तु यदि पहुंचाना है तो दो ही स्थान है एक अग्नि दूसरा ब्राह्मण। अग्नि में हवन से और ब्राह्मण को भोजन कराने से भगवान प्रसन्ना हो जाते हैं।


आज किया जाएगा भगवान की बाललीलाओं का वर्णन

शहर के सीवन नदी के तट पर ऊंकार प्रसाद जायसवाल परिवार के तत्वाधान में समस्त सनातन प्रेमी भक्तजन के तत्वाधान में जारी नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन भगवान श्रीराम की बाललीलाओ का वर्णन किया जाएगा। कथा दोपहर दो बजे से पांच बजे तक जारी रहेती है। इसके पश्चात आरती की जाती है। 

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