- भोजपुरी सिनेमा के ' पीआरओ किंग' के रूप में किया पहचान मजबूत
वहीं, रंजन सिन्हा ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "यह सम्मान उन सभी निर्माता-निर्देशकों का है जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया और अपनी फिल्मों के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी मुझे सौंपी।" उन्होंने अयोध्या भोजपुरी सिने अवार्ड का आभार व्यक्त करते हुए इस अवार्ड को अपने काम और प्रयासों की पहचान बताया। बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के छोटे से गांव बिरना लखन सेन से ख्वाबों की नगरी मुंबई तक का सफर आसान नहीं था। लेकिन अपनी मेहनत और समर्पण के दम पर रंजन सिन्हा ने भोजपुरी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई। आज वे भोजपुरी इंडस्ट्री के सबसे भरोसेमंद पीआरओ में से एक हैं। वे न केवल मेगा स्टार मनोज तिवारी, रवि किशन, पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, प्रदीप पांडे चिंटू, और अक्षरा सिंह जैसे दिग्गजों के पसंदीदा पीआरओ हैं, बल्कि साउथ और बॉलीवुड की फिल्मों के लिए भी जनसंपर्क का काम कुशलता से करते हैं।
भोजपुरी सिनेमा के अलावा, रंजन सिन्हा बिहार के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। उन्होंने बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों जैसे - प्रकाश पर्व, पटना फिल्म फेस्टिवल, गांधी पैनोरमा फिल्म फेस्टिवल, बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव और नेशनल बॉक्सकॉन कांफ्रेंस में भी पीआर का कार्य बखूबी किया। रंजन सिन्हा का योगदान केवल भोजपुरी इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। वे कई बड़े म्यूजिक चैनलों के पीआर का काम भी सफलता से संभाल रहे हैं। उनकी पहचान उनके गुणवत्तापूर्ण कार्य और भरोसेमंद व्यक्तित्व के कारण बनी है। यही वजह है कि उन्हें भोजपुरी सिने अवार्ड के अलावा भी कई बड़े पुरस्कार मिले हैं। भोजपुरी सिनेमा में उनका योगदान अद्वितीय है। वे अपने काम को प्राथमिकता देते हैं और हर प्रोजेक्ट को उसकी मंजिल तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। उनका कहना है, "मेरे लिए काम ही सब कुछ है। यह मेरा जुनून है और मैं इसे ईमानदारी से करता रहूंगा।" रंजन सिन्हा की सफलता की यह कहानी न केवल उनकी मेहनत की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि यदि आप अपने काम के प्रति समर्पित हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी। भोजपुरी इंडस्ट्री में उनकी अद्वितीय सफलता ने उन्हें एक 'ब्रांड' बना दिया है, जो आने वाले समय में और भी ऊंचाइयां छूने को तैयार है।
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