- आष्टा कोर्ट ने तलाक की डिग्री दी, हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी
- पीडि़ता ने की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने और नाम काटने वाले तहसील के बाबू, बीएलओ और सचिव पर सख्त कर्रवाही की मांग
पीडि़ता विनीता बाई के मुताबिक लसुडिय़ा गोयल निवासी विनोद से 11 वर्ष पूर्व विवाह हुआ और 2 संतानों के रूप में विवेक और आशा का जन्म हुआ। पति के साथ 6 वर्ष तक रही। सभी सरकारी दस्तावेजों में पति ओर बच्चों के पिता के रूप में विनोद का नाम दर्ज है। पति ने कुछ साल पहले मारपीट कर घर से भगा दिया। पीडि़त विनीता अपने पिता किशल लाल के यह ग्राम ब्रिजिस नगर में रहने के लिए बाध्य हुई। पति के खिलाफ संतान के भरण पोषण के लिए इछावर न्यायालय में प्रकरण दायर किया। पति विनोद ने कभी कुछ नहीं दिया। विनोद ने आष्टा न्यायालय में तलाक का प्रकरण दायर किया और एक तरफा तलाक की डिक्री कोर्ट से ले ली। विनीता ने अपना वैवाहिक जीवन बचाने के लिए एक पक्ष डिग्री तलाक के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई हाई कोर्ट ने तलाक की डिक्री को स्थगित कर दिया। हाई कोर्ट ने विनीता और विनोद को पति पत्नि ही माना और निचली अदालत के आदेश को रोक दिया। जिस के बाद पति विनोद ने अवैधानिक रूप से तहसील के बाबू दिनेश शर्मा,बीएलओ भूपेंद्र सिंह राजपूत, सचिव कृपाल सिंह से मिलकर गांव की मतदाता सूची से नाम कटवा दिया जबकी विनीता लसुडिय़ा गोयल की ही निवासी है और विनोद से अभी तलाक नहीं हुआ वह दोनों कानून रूप से पति पत्नि हीं है।
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