हंसदास मठ सिद्धपुर सीहोर के महंत हरिदाम दास महाराज की प्रेरणा से भव्य आयोजन किया गया। महंत के सानिध्य में विप्रजनों की उपस्थिति में महोत्सव संपन्न कराया गया। कार्यक्रम के दौरान जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि पौराणिक धार्मिक ग्रथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था। जिसका वर्णन श्रीराम चरित मानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने बड़ी ही सुंदरता से किया है। श्रीरामचरितमानस के अनुसार-महाराजा जनक ने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर रचाया। सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सकें, तब ऋषि विश्वामित्र ने प्रभु श्रीराम से आज्ञा देते हुए कहा- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ। गुरु विश्वामित्र के वचन सुनकर श्रीराम तत्पर उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आगे बढ़ें। यह दृश्य देखकर सीता के मन में उल्लास छा गया। प्रभु की ओर देखकर सीताजी ने मन ही मन निश्चय किया कि यह शरीर इन्हीं का होकर रहेगा या तो रहेगा ही नहीं। माता सीता के मन की बात प्रभु श्रीराम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया। यह देखकर सीता के मन को संतोष हुआ। विवाह पंचमी के मौके पर भगवान श्रीराम जानकी विवाह मंगल महोत्सव लगातार दूसरी बार किया जा रहा है। समस्त श्रीराम भक्त कस्बा सिद्धपुर द्वारा किया गया।
सीहोर। शहर के कस्बा स्थित श्रीराम मंदिर राठौर धर्मशाला में शुक्रवार को भव्य तरीके से विवाह पंचमी पर भगवान राम-जानकी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर क्षेत्रवासियों ने भगवान श्रीराम के पाणिग्रहण संस्कार में भाग लिया। इस संबंध में जानकारी देते हुए आयोजन समिति के आलेख राज राठौर ने बताया कि लगातार दूसरी बार विवाह पंचमी पर भव्य रूप से भगवान श्रीराम और माता सीता विवाहोत्व का आयोजन किया, दिव्य विवाह के आयोजन को लेकर तैयारियां की गई थी, पिछले कई दिनों से क्षेत्र में उत्साह था, विवाह स्थल पर फेरे के लिए मंडप आदि का निर्माण किया गया था। शुक्रवार को नौ बजे हल्दी, दस बजे मेहंदी और ग्यारह बजे मंडप छाया आदि संस्कार किए गए।
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